अरुणाचल का सियांग डैम प्रोजेक्ट क्यों है चीन की चालबाजी का सटीक जवाब, ब्रह्मपुत्र से खेल करने का मंसूबा भूल जाएगा ड्रैगन

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश में बनने वाला सियांग अपर मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट (SUMP) देश की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। यह प्रोजेक्ट अरुणाचल प्रदेश के विकास के लिए भी उतना ही आवश्यक है। 1.13 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला यह प्रोजेक्ट वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास अरुणाचल के अपर सियांग जिले में बनेगा। बनने के बाद यह भारत का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर स्टेशन होगा। दरअसल, ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को नियंत्रित करने को लेकर चीन का मंसूबा हमेशा से खतरनाक रहा है। खासकर भारत ने जिस तरह से पहलगाम आतंकी हमले के बाद उसके दोस्त पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रोका है, उसकी वजह से इस बात की आशंका और बढ़ गई है कि ड्रैगन अपने नापाक इरादों को अमलीजामा पहना सकता है। ऐसे में सियांग अपर मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट उसकी सारी चालबाजियों पर पानी फेर सकता है।

सियांग अपर मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट चीन के ‘सुपर डैम’ का जवाब

किरेन रिजिजू ने जो कुछ कहा है, उसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति है। वह अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। उन्हें सामरिक महत्त्व के साथ-साथ प्रदेश के लिए सियांग डैम प्रोजेक्ट की आवश्यकता के बारे में पुख्ता जानकारी है। यह प्रदेश की तरक्की के लिए जरूर है, तो देश की सुरक्षा को लेकर भी बहुत महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह प्रोजेक्ट चीन की ओर से तिब्बत में एलएसी से 50 किलोमीटर से भी कम दूरी पर यारलुंग त्सांगपो नदी पर 60 गीगावाट के हाइड्रो स्टेशन (मेडोग बांध) के निर्माण के जवाब में है।

तिब्बत की यारलुंग त्सांगपो,अरुणाचल की सियांग ब्रह्मपुत्र बनती है

पिछले साल की बात है। भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध को चीन की ओर से मंजूरी मिलने पर चिंता जताई थी। इसके बाद भारत ने सियांग अपर मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट (SUMP) की योजना बनाई। यह प्रोजेक्ट अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले में सियांग नदी पर बनना है। सियांग नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। सियांग नदी तिब्बत में कैलाश पर्वत के पास से निकलती है और यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र को चीन में इसी नाम से जानते हैं) के रूप में 1,000 किलोमीटर से अधिक पूर्व की ओर बहती है। यह अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने से पहले नामचा बरवा चोटी के चारों ओर एक घोड़े की नाल के आकार का मोड़ बनाती है। असम में यह दिबांग और लोहित नदियों के साथ मिलकर ब्रह्मपुत्र बन जाती है।

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