आदिवासी भूमका संघ ने तहसीलदार को सौपा ज्ञापन

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वारासिवनी तहसील कार्यालय में 6 मार्च को आदिवासी भूमका संघ के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी वारासिवनी के नाम का ज्ञापन तहसीलदार को सौंप कर रमरमागढ़ में आदिवासियों के आस्था के स्थल पर असामाजिक तत्वों द्वारा की जा रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की गई। ज्ञापन में बताया कि ग्राम रमरमागढ़ तहसील वारासिवनी जिला बालाघाट में आदिकाल से स्थित देव स्थल पर हम आदिवासियों के भूमिकाओं यानी पुजारियों के द्वारा प्राकृतिक रूप से बने आस्था स्थल पर गोंगो मतलब पूजा की जा रही है तथा विभिन्न धर्मो के अनुयायी भी इस स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचते हैं जिस पर किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है। लेकिन उस आस्था के स्थल पर प्राकृतिक रूप से देवी देवताओं के नाम परिवर्तन और मानव निर्मित काल्पनिक रूप से आकर दी गई मूर्तियों को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है जो हम आदिवासियों के गोंडी धर्म कोया पूनेम की धार्मिक परंपरा के आधार पर वर्जित है। इस प्रकार के कृत्य से जो हमारी धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुंचाने की कोशिश की जा रही है हम आदिवासियों के आस्था के स्थल पर देवी देवताओं के नाम परिवर्तन एवं काल्पनिक आकार की मूर्तियां का स्थापित कर इस स्थल को अतिक्रमण करने की षड्यंत्र किए जाने की संभावना है। जिसमें वर्तमान प्रबंधन समिति भी इस प्रकार के कृत्य में शामिल हैं जिन्हें आदिवासियों के देवी देवताओं और पूजा पद्धति की कोई जानकारी नहीं है इसलिए हम भूमक संघ यानी पुजारी संघ के द्वारा आपत्ति ली जा रही है की आगे शिवरात्रि के पर्व पर ऐसी घटनाओं को षड्यंत्र पूर्वक हम आदिवासियों के धार्मिक स्थल पर उक्त कृत्यों को किए जाने की संभावना है। इसलिए इस धार्मिक स्थल पर असामाजिक तत्वों के द्वारा होने वाली गतिविधियों पर संज्ञान में लेकर त्वरित कार्यवाही कर पुलिस संरक्षण तथा सामाजिक सौहार्द की स्थिति न बिगाड़ पाने हेतु प्रशासन के द्वारा नियंत्रण व्यवस्था प्रदान की जाये ताकि सांप्रदायिक सद्भावना बनी रहे। इस अवसर पर भुवन सिंह कोर्राम मदनलाल इनवाती राजेंद्र कुमरे गणेश कुमरे लालसिंह चंद्रसिंह मानसिंह परते शाहिद अन्य सामाजिक बंधु मौजूद रहे।

भूमका संघ जिलाध्यक्ष मदनलाल इनवाती ने बताया कि हमारे शंभू पेनठाना में अतिक्रमण कर दूसरी मूर्ति स्थापित की जा रही है वहां मूर्ति ना रखें देवी देवताओं के नाम को मिटा कर नया नाम ना लिखें और किसी प्रकार का कोई बदलाव न किया जाये यही मांग को लेकर हम आज ज्ञापन देने के लिए आए हुए हैं। हमारे भूमका संघ का गठन अभी हुआ है परंतु सन 1815 से वहां पर मर्सकोले परिवार की पीढ़ी से पूजा पाठ की जा रही है ऐसी स्थिति में वहां किसी प्रकार के छेड़छाड़ ना हो ताकि विवाद की स्थिति ना बने यही रोकने के लिए हम आये हैं।

आदिवासी धर्म परिषद प्रदेशाध्यक्ष भुवन सिंह कोर्राम ने बताया कि रमरमागढ़ का मामला है जहां पर पेनठाना है वहां सदियों से परंपरागत रूप से गोंडी धर्म के अनुसार प्रकृति पूजा की जाती रही है जहां हर धर्म का व्यक्ति आता है इनका हमारा विरोध नहीं है। परंतु कुछ असामाजिक तत्व वहां के नाम परिवर्तन एवं अन्य मूर्तियों की स्थापना कर रहे हैं तो हम प्रकृति के पूजा करें मूर्ति वर्जित है किंतु षड्यंत्र के तहत ऐसा किया जा रहा है जिससे कि सामाजिक धार्मिक भावना आहत हो। जिसको लेकर हमारा विरोध है आगे त्यौहार है ऐसे में सांप्रदायिक दंगा ना हो इसके लिए इस प्रकार की छेड़छाड़ को रोकना जरूरी है जिसके लिए हमने ज्ञापन दिया है और हम चाहते हैं कि वहां पर पुलिस प्रशासन की सुरक्षा दी जाये।

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