रियाद: ईरान-इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में खाड़ी के कुछ देश सहज नहीं दिख रहे हैं। खासतौर से अमेरिका के करीबी सहयोगियों को संतुलन बनाने में काफी कोशिश करनी पड़ रही है। 21 मुस्लिम बहुल देशों ने एक बयान जारी करते हुए इजरायल के ईरान पर हमलों की स्पष्टतौर पर निंदा की है। इन 21 हस्ताक्षरकर्ता देशों में जॉर्डन और सऊदी अरब शामिल हैं। हालांकि ये दोनों देश अप्रत्यक्ष रूप इजरायल का साथ भी देते दिखे हैं। जॉर्डन ने ईरानी मिसाइलों को गिराया है तो सऊदी अरब ने संभवत ऐसा करने के लिए इजरायल को अपने हवाई क्षेत्र के उपयोग की अनुमति दी है।
डी डब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, जॉर्डन और सऊदी अरब लगातार इजरायल-ईरान तनाव में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। एक तरफ इन देशों ने इजरायल के ईरान पर हमलों की सार्वजनिक रूप से निंदा की है तो दूसरी तरफ वे अप्रत्यक्ष रूप से इस संघर्ष में शामिल हैं। जॉर्डन ने ईरान से इजराइल की ओर दागी गई मिसाइलों को गिराया है, जबकि सऊदी अरब पर इजरायली विमानों को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने देने और निगरानी में सहयोग का आरोप है। दोनों देश गुपचुप ये काम कर रहे हैं क्योंकि दोनों दशों की जनता इजरायल की ऐतिहासिक रूप से विरोधी रही है।
इजरायल को बचा रहे जॉर्डन-सऊदी!
जॉर्डन की सेना ने अपने बयान में पुष्टि की है कि उसने ईरान से दागी गई कई मिसाइलों को उसने अपनी हवाई स्पेस में मार गिराया है। जॉर्डन सेना ने कहा कि ये मिसाइलें और ड्रोन जॉर्डन में गिर सकते थे, जिसमें आबादी वाले इलाके भी हो सकते थे। विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी अरब ने भी इजरायल को अपने हवाई क्षेत्र में मिसाइलों को मार गिराने की अनुमति दी है और निगरानी में सहयोग किया है।