पारिवारिक विवादों में ई-काउंसिलिंग (आनलाइन माध्यम से सुलह) कारगर साबित हुई है। मध्य प्रदेश पुलिस ने स्टेट लीगल अथारिटी के साथ मिलकर प्रदेश के तीन जिलों भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एक माह के लिए इसका संचालन किया था। इस दौरान 400 प्रकरण में समझौता हुआ यानी यह घर टूटने से बच गए। समझौता नहीं होने पर 900 से अधिक प्रकरणों में केस दर्ज किए गए। इस सुलह की कानूनी वैधता भी है, क्योंकि जिला जज की कोर्ट से यह काउंसिलिंग की गई।
कोरोना संकट के दौर में आवाजाही को लेकर समस्या थी। साथ ही घरेलू विवाद में सुलह के लिए आनलाइन माध्यमों का उपयोग बढ़ाने की मंशा के तहत प्रदेश में 18 जुलाई से एक माह के लिए यह व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के तहत की गई। मध्यस्थता कराने वाले लोग प्रशिक्षण प्राप्त थे। इसमें कुल 2240 प्रकरण मध्यस्थता के लिए रखे गए। आवेदकों को घर से ही मोबाइल सहित अन्य आनलाइन माध्यमों से जुड़ने की अनुमति दी गई।
इस एक माह में 400 प्रकरण में समझौता हुआ और पारिवारिक विवाद समाप्त हुए। समझौता नहीं होने वाले 900 मामलों में केस दर्ज किए गए। अन्य प्रकरण विचाराधीन हैं। एक माह के लिए लागू की गई इस व्यवस्था (ई-मीडिएशन) में 15 हजार स्र्पये खर्च विश्व बैंक की एक योजना के तहत मिला। इस व्यवस्था की सफलता से उत्साहित पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा अब सभी जिलों में इसे लागू करने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। प्रस्ताव में पांच हजार रुपये खर्च सरकार की तरफ से देने की बात भी प्रस्ताव में शामिल की गई है।
अन्य लोगों का दखल नहीं रहा
ई-काउंसिलिंग में केस स्टडी के तौर पर जो बड़ा फायदा दिखा, वह यह था कि इस माध्यम से मध्यस्थता में अन्य लोगों का दखल कम रहा। साधारण तरीके से सुलह के दौरान अन्य रिश्तेदार या दोस्त मौके पर होते हैं। किसी विवाद को सुलझाने में उनके अपने तर्क होते हैं और विवाद बढ़ता जाता है। ई-काउंसिलिंग में पति-पत्नी और विवाद से जुड़े करीबी पक्षों को ही शामिल किया गया। इससे कहासुनी की बातों को दोनों पक्षों को दरकिनार करने की समझाइश सफल रही।
इनका कहना है
ई-काउंसिलिंग के बहुत अच्छे नतीजे आए हैं। इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है। प्रदेश में महिला संबंधी अपराधों की सुनवाई के लिए कई माध्यम शुरू किए गए हैं। सुलह नहीं होने पर प्रकरण दर्ज करने के भी निर्देश दिए गए हैं।