विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर में अब तक भारतीय शेयरों में 8,600 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इससे पिछले महीने एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 51,000 करोड़ रुपए डाले थे। बाजार के जानकारों का कहना है कि डॉलर में मजबूती के बीच आगे चलकर एफपीआई आक्रामक तरीके से लिवाली नहीं करेंगे। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और वृद्धि की संभावना, मंदी की आशंका, रुपए में गिरावट और रूस-यूक्रेन तनाव बढ़ने से एफपीआई का प्रवाह प्रभावित होगा। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले अगस्त में एफपीआई ने शेयरों में 51,200 करोड़ रुपए डाले थे। जुलाई में शेयरों में उनका निवेश करीब 5,000 करोड़ रुपए रहा था। लगातार नौ माह तक निकासी के बाद एफपीआई जुलाई में लिवाल बने थे। पिछले साल अक्टूबर से एफपीआई की निकासी का सिलसिला शुरू हुआ था। अक्टूबर, 2021 से जून, 2022 तक उन्होंने 2.46 लाख करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे। आंकड़ों के अनुसार एक से 23 सितंबर के बीच एफपीआई ने 8,638 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे। हालांकि इस महीने अबतक भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई के रुख में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। इस महीने सात कारोबारी दिन उन्होंने बिकवाली की है। पिछले दो कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने शेयर बाजारों से 2,500 करोड़ रुपये की निकासी की है।