भोपाल सहकारी दुग्ध संघ में श्रमिक ठेका आपूर्ति करने वाली फर्म कुछ अधिकारियों के गले की फांस बन गई है। इस मामले में फिर दुग्ध महासंघ के एमडी मोहम्मद शमीमुद्दीन ने भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के सीईओ को एक शोकाज नोटिस जारी किया है। जिसमें पूछा है कि कोर्ट में संघ द्वारा केवियेट क्यों नहीं लगाई थी। यह केविएट उक्त ठेका श्रमिक फर्म द्वारा दायर स्थगन याचिका के संबंध में लगानी थी जो कि तत्कालीन सीईओ द्वारा जानते हुए भी नहीं लगाई गई। इसका फायदा ठेका श्रमिक फर्म को मिला है।
दरअसल भोपाल सहकारी दुग्ध संघ को श्रमिकों की जरूरत होती है। इनकी संख्या 1000 से 1200 है। यह श्रमिक मैसर्स गोपाल विश्वास ठेका फर्म द्वारा आपूर्ति की जाती है। बदले में संघ उक्त फर्म को 10 से 11 फीसद सेवा शुल्क देता है। जबकि इसी काम के बदले उज्जैन इंदौर, जबलपुर, सागर दुग्ध संघ द्वारा ठेका श्रमिक आपूर्ति करने वाली फर्मों को एक से डेढ़फीसद सेवा शुल्क ही दिया जा रहा है। भोपाल संघ औसतन 9 फीसद सेवा शुल्क दूसरे संघों की तुलना में अधिक चुका रहा है। इस तरह बीते 10 सालों में 66 करोड रुपए उक्त फर्म को भुगतान किए जा चुके हैं। 10 साल से एक ही फर्म से काम लिया जा रहा है जिसे हटाने की कार्रवाई की गई थी। लेकिन उक्त फर्म ने बीते कुछ सालों से सहकारिता भोपाल की ओर से स्थगन ला लिया था जिस पर संघ ने आपत्ति ली थी। संघ की आपत्ति के बाद 4 महीने पहले स्थगन हटा दिया गया था और दुख संघ में नए सिरे से ठेका आपूर्ति करने वाली फर्म के लिए टेंडर मंगवाए गए थे। इसी बीच अधिक भुगतान पाने वाली ठेका श्रमिक आपूर्ति फर्म ने उच्च स्तर पर शिकायत कर दी। वहां से मामला पुनः सहकारिता कोर्ट भोपाल भेज दिया गया और फिर उक्त कोर्ट ने स्थगन दे दिया है। इस पूरे मामले में 19 अप्रैल को दोनों पक्षों की सुनवाई थी। जिसमें फर्म द्वारा तो पहले ही अपना पक्ष रख दिया गया था लेकिन भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के तत्कालीन सीईओ को भी अपना पक्ष रखना था पूर्व में केविएट भी लगानी थी जो कि नहीं लगाई गई।










































