कटंगी : नहलेसरा जलाशय के जलस्तर मे हुई वृद्धि

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 क्षेत्र की मध्यम सिंचाई परियोजना नहलेसरा जलाशय के जलस्तर में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद वृद्धि देखने को मिली है. साल 1968 में चंदन नदी पर बनकर तैयार इस जलाशय से हर साल 4513 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। जानकारी अनुसार जलाशय की बडग़ांव, देवथाना, खैरलांजी, खजरी, मानेगांव, मोहगांव, मुंदीवाड़ा, और पाथरवाड़ा माइनर से करीब 40 गांवों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जाता है. बीते एक दशक से नहलेसरा जलाशय में जल संग्रहण क्षमता के अनुसार जलभराव नहीं हो पाया है।

बारिश होने पर जब कभी जलभराव की स्थिती बनती है तो ठीक इसके पहले जल संसाधन विभाग नहर से पानी छोड़ देता है. जिसका सीधा असर चंदन नदी के अस्तित्व पर पड़ा है नदी में पानी का बहाव नहीं होने के कारण समाप्त होने की कगार पर आकर खड़ी हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि चंदन नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए नहलेसरा जलाशय में जल संग्रहण क्षमता के मुताबिक जलभराव की आवश्यकता है किन्तु जल संसाधन विभाग जलाशय में जलभराव होने से पहले ही नहर से पानी छोड़ देता है बारिश के वक्त जब जलाशय से यह पानी छोड़ा जाता है कि तो यह किसानों के भी काम नहीं आता, बीते कई सालों से विभाग ऐसा ही कर रहा है. जिस पर किसानों ने भी आपत्ति उठाई है चूकिं खेतों में पानी जमा होने से फसलों को नुकसान होता है।

बता दें कि चंदन नदी पर जगह-जगह खेती कर अतिक्रमण कर लिया गया है उधर, लगातार बारिश कम होने की वजह भी चंदन नदी में पानी का प्रवाह नहीं होता। नदी में बहाव का एकमात्र विकल्प नहलेसरा जलाशय का पानी ओवरफ्लो से है जब तक जलाशय का पानी ओवरफ्लो नहीं होता तब तक चंदन नदी को सहेज पाना मुश्किल है किन्तु ऐसा नहीं हो पा रहा है बीते साल लगातार बारिश के बाद जलाशय में जलसंग्रहण क्षमता के मुताबिक पानी जमा हो चुका था और जलाशय से पानी ओवरफ्लो होने ही वाला था ठीक इसके पहले विभाग ने जलाशय की नहरों में पानी छोड़ दिया था. फिलहाल, चंदन नदी के मिटते अस्तित्व को बचाने की जरूरत है और यह सभी के सामुहिक प्रयास से ही संभव हो पाएगा।

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