कोरोना में गई पाइलट की नौकरी तो बन गए अब लाॅरी ड्राइवर, कमाई पहले से भी ज्यादा

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Success story: कोरोना महामारी से आज पूरी दुनिया अवगत है, इस महामारी ने न सिर्फ देश के लोगों पर बल्कि विदेश के लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी असर डाला है। लाखों लोगों को रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा। जो लोग अच्छा खासा कमाते थे वह भी अब आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं। इसका असर आम नौकरी पेशा से लेकर पायलट तक के वेतनमान पर पड़ा है। एयरलाइंस कंपनियों ने भी इतने बुरे दिन पहले कभी नहीं देखे थे। इस महामारी की वजह से कई पायलेट को नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो वहीं कुछ पयलेटों की सैलरी पर अच्छा खासा असर पड़ा। एक ऐसे ही पायलट हैं, जिन्होंने कोरोना के कारण गई नौकरी के बाद मजबूरी में लाॅरी ड्राइवर का काम किया।

यूनाईटेड किंगडम के पायलट एरोन लेवेंथल पर भी कोरोना का कहर टूटा तो उन्हें मजबूरी में एक लाॅरी ड्राइवर का काम करना पड़ा। नौकरी जाने के बाद भी एरोन ने हिम्मत नहीं हारी। 37 साल के एरोन का मानना है कि वर्तमान संकट और चालकों की कमी होने के कारण अनुभवी ट्रक ड्राइवरों के वेतन में इजाफा हो रहा है। एरोन ने सबसे पहले ट्रक चलाने के लिए HGV लाइसेंस लिया। संकट के दौरान बजट एयरलाइन फ्लाईबे बंद हुई तभी उन्होंने फ्रीलांस ड्राइवर के रूप में काम करने का फैसला किया था। उस समय एरोन को सुपरमार्केट में फूड आइटम और ईंधन सप्लाई करने को कहा गया था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फ्लाईबे एयरलाइंस में पायलट के तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों को सालाना तीस हजार पाउंड स्टर्लिंग यानी 30 लाख से भी ज्यादा सैलरी दी जाती थी। वहीं अगर आज के समय में फ्रीलांस ट्रक चालक की सैलरी की बात करें तो इन्हें सालाना 40 हजार पाउंड मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़ी कंपनियां ड्राइवरों को ज्यादा तनख्वाह और सुविधाएं ऑफर करते हुए उन्हें नौकरी देने के लिए तैयार दिख रही हैं। इतना ही नहीं ये कंपनियां भविष्य में इन ड्राइवरों की सैलरी और भत्ते भी बढ़ा सकते हैं। जानकारी के लिए आपको बतादें कि पहले इन लाॅरी चालकों को एक घंटे काम करने के सिर्फ 9 पाउंड मिला करते थे लेकिन अब उन्हें कम से कम 30 पाउंड मिलते हैं।

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