खरीफ धान फसल मे΄ माहु, ब्लास्ट का प्रकोप

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वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। बालाघाट जिला धान उत्पादन के लिए प्रसिध्द है और विभिन्न प्रजाति की धान की फसल का उत्पादन किया जाता है। खरीफ सीजन में धान की खेती की जाती है और वर्तमान में हल्की किस्म की धान की फसल पक चुकी है एवं भारी किस्म की धान गर्भ व निकल रही है और उक्त फसल को पकाने के लिए किसानों ने कड़ी मेहनत कर पसीना बहाया जा रहा है लेकिन फसलों में माहु, ब्लास्ट सहित कई प्रकार की बीमारियां लग रही है साथ ही बदलते मौसम के कारण किसान बेहद परेशान व चिंतित है। खरीफ की धान फसल में माहु, इल्ली एवं ब्लास्ट का प्रकोप तेजी से बढ़ते जा रहा है जो पकी हुई फसल को चौपट करने लगे है और किसानों के द्वारा महंगी से महंगी कीटनाशक दवाईओं का भी छिड़काव किया जा रहा है किन्तु बीमारियां कंट्रोल नही हो रही है जिससे कृषकों की चिंताएं बढ़ते जा रही है। इस वर्ष खरीफ धान की फसल अच्छी है किन्तु वर्तमान में फसलों लग रही बीमारियां फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है क्योंकि किसानों को उक्त बीमारी में कौन सी कीटनाशक दवाईओं का छिड़काव करना चाहिए जिसका सही मार्गदर्शन ग्राम सेवक व कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा नही दिया जा रहा है कृषक अपने हिसाब से दवाई दुकान से दवा लाकर छिड़काव कर रहे है लेकिन बीमारियां थमने का नाम नही ले रही है।
कीटनाशक दवाओं का नही हो रहा असर ं
क्षेत्र में खरीफ धान की हल्की किस्म की फसल पककर तैयार हो चुकी है वही ंभारी किस्म की धान में बाली निकल रही है कुछ गर्भ में है किन्तु उक्त फसलों में माहु, इल्ली, ब्लास्ट का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ रहा है जिससे किसान बेहद चिंतित है क्योंकि वर्तमान में हल्की किस्म की धान कुछ दिनों में कट जायेगी किन्तु मौसम बदलने व बारिश होने से किसान को काफी नुकसान होगा साथ ही फसलों में नई-नई बीमारियां लगने से भी किसान परेशान नजर आ रहा है। किसानों के द्वारा अपनी फसल का अच्छा उत्पादन लेने के लिए पूर्व से खाद डालकर कड़ी मेहनत करते आ रहे है और अब फसल पक चुकी है तो उसमें भी मौसम की मार के साथ बीमारियां भी लगने लगी है किसान परेशान व चिंतित है। किसान फसल में लगी बीमारी से निजात पाने के लिए महंगी से महंगी कीटनाशक दवा का छिड़काव कर जरूरी एहतियात बरत रहे है और कृषकों का मानना है कि यह बीमारी अचानक ठंडा-गर्म मौसम से है इसलिए वर्तमान में धूप के साथ मौसम साफ रहना चाहिए तभी बीमारियां दूर होगी और अच्छी फसल का उत्पादन ले सकते है।
फसल पर मंडरा रहा खतरा

पूर्व वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष बरसात अच्छी हुई है और बीज रोपा के साथ ही धान की फसल भी ठीक थी किन्तु अचानक मौसम परिवर्तन होने के साथ ही वर्तमान में फसलों में लग रही भुरा माहु, माहु, ब्लास्ट एक-दो दिनों में ही अपना असर दिखाना शुरू कर देती है और समय पर उक्त बीमारी की रोकथाम नही की गई तो वहां पूरी फसल को चौपट कर देगी। वारासिवनी क्षेत्र के थानेगांव मार्ग पर किसानों के द्वारा लगाई गई धान की फसल में ब्लास्ट बीमारी लग रही है जो गोलाकार में फसलों को खराब कर रही है और किसान फसलों को बीमारी से बचाने के लिए महंगी से महंगी दवाओं का छिड़काव कर रहे है उसके बाद भी उक्त बीमारी नही रूक रही है कुछ किसानों का कहना है कि माहु, ब्लास्ट की बीमारी नही रूकी तो जितनी लागत फसल उत्पादन लेने के लिए लगाये उतनी भी नही निकल पायेगी। किसानों ने बताया कि हल्की किस्म की धान की कटाई होने लगी है और भारी किस्म की धान में बालियां आ चुकी है और बार-बार मौसम बदल रहा है एवं बारिश व तेज हवा चलती है तो फसलों को प्रभावित कर सकती है और ठंडा मौसम होने के कारण बीमारियां लग रही है उसके रोकथाम के लिए महंगी कीटनाशक दवाईओं का भी छिड़काव कर रहे है लेकिन बीमारी रूकने का नाम नही ले रही है।
फसल को लेकर किसान चिंतित – यशवंत पंचेश्वर

पदमेश से चर्चा में कृषक यशवंत पंचेश्वर ने बताया कि हल्की किस्म की धान पक चुकी है जिसकी कटाई करना है किन्तु अचानक मौसम परिवर्तन हो रहा है अगर बारिश होती है तो पकी फसल खराब हो जायेगी। श्री पंचेश्वर ने बताया कि फसलों में माहु, ब्लास्ट सहित अन्य बीमारी लग रही है और कीटनाशक दवाई का छिड़काव करने के बाद भी बीमारी नही रूक रही है , किसान फसल को लेकर बेहद परेशान व चिंतित है।
फसल उत्पादन होगा कम – धनलाल नगपुरे
पदमेश से चर्चा में कृषक धनलाल नगपुरे ने बताया कि खरीफ धान की फसल में बालियां आ चुकी है किन्तु भूरा माहु, माहु, ब्लास्ट सहित अन्य बीमारियां लग रही है, एक दिन में देखो तो कम दिखाई देता है दूसरे दिन पूरे खेत पर फैल जाती है , फसल में लग रही बीमारी से किसान परेशान है। श्री नगपुरे ने बताया कि जब से फसल लगाये है उसके बाद से हर बीमारी की दवाई डाल-डाल कर थक चुके है और दो एकड़ की फसल पककर तैयार हो चुकी है अगर बारिश होती है तो बहुत नुकसान हो जायेगा एवं फसल में अब माहु व ब्लास्ट की बीमारी लग रही है उसकी रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाई का छिड़काव करेगें अगर बीमारी नही रूकी तो फसल उत्पादन कम होगा।

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