बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।वन परिक्षेत्र गोरेघाट सर्किल के कुड़वा गांव में शनिवार को बाघ ने एक किसान प्रकाश पाने (58) पर हमला कर उसका शिकार कर लिया गया था। इस घटना के बाद से ही स्थानीय ग्रामीणों में वन विभाग के प्रति काफी आक्रोश देखा जा रहा है। तो वहीं अब तक वन विभाग के कर्मचारी इस आदमखोर बाघ को पकड़ने में नाकाम नजर आ रहे हैं। उधर इस आदमखोर बाघ की चहल कदमी गांव में दूसरे दिन भी बनी रही। जहां किसान का शिकार के बाद दूसरे दिन रविवार को भी यह आदमखोर बाघ जंगल के करीब गांव में और घटनास्थल की समीप घूमता फिरता और दहाडे मारता हुआ नजर आया। जिसके चलते पूरे गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है।उधर कार्य मे लापरवाही बरतने के मामले को लेकर वन विभाग अधिकारी ने एक बीट गार्ड को निलंबित भी कर दिया है। तो वही बाघ को पकड़ने के लिए गांव में सिवनी से स्पेशल टीम मंगाई गई है। लेकिन वहां भी अब तक गांव नहीं पहुंच पाई है। उधर विभाग द्वारा जहां जगह-जगह पिंजरे लगाकर बकरियों का लालच देकर आदमखोर बाघ को पिंजरे में कैद करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इस प्रयास में वन विभाग को सफलता हाथ नहीं लगी है। जिसके चलते ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ते जा रहा है। वही गांव में रोजाना आ रहे आदमखोर बाघ को देखते हुए पूरे गांव में दहशत का माहौल निर्मित हो चुका है और लोग अपने घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे है।उधर अधिकारियों द्वारा जल्द ही आदमखोर बाघ को पकड़ने की बात कही जा रही है।
किसान का शिकार करने वाले बाघ की दूसरे दिन भी बनी रही चहल कदमी
प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को किसान प्रकाश पाने का शिकार करने के बाद इस आदमखोर बाघ की रविवार को भी गांव में चहल कदमी देखी गई है।बताया किया रविवार के दिन भी बाघ दहाड़ मारते रहा और घटना स्थल में भी दो बार पहुंचने की जानकारी दी गई। लेकिन समय पर टीम के नहीं पहुंचने से बाघ का रेस्क्यू नहीं किया जा सका। घटना स्थल से दो सौ मीटर दूरी पर बाघ के पदचिन्ह दिखाई दिए। अंदाजा लगाया जा रहा है कि बाघ गांव के आस पास ही घूम रहा है। पूरे गांव में दशहत का माहौल बना हुआ है।
ग्रामीणों ने वन अधिकारियों कर्मचारियों को सुनाई जमकर खरी-खोटी
गांव में आदमखोर बाघ की चहल कदमी से ग्रामीण परेशान है, तो वही बाघ को पकड़ने के लिए रेस्क्यू टीम भी नहीं पहुंची।जिसके चलते घटना के दूसरे दिन रविवार को भी गांव में तनाव और दहशत की स्थिति रही। पूरा गांव घटना स्थल के समीप एकत्रित रहा। सभी देर शाम तक सिवनी पेंच की रेस्क्यू टीम का इंतजार करते रहे। लेकिन समाचार लिखे जाने तक टीम नहीं पहुंची थी। स्थानीय वन अमला भी ग्रामीणों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहा था। ग्रामीणों ने वन परिक्षेत्र अधिकारी बाबूलाल चढ़ार, सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी ज्ञानीराम गोटाफोड़े सहित वनकर्मी को घेरकर रखा और खरी खोटी भी सुनाते नजर आए।
बीट गार्ड किया गया निलंबित
पूरे मामले में लापरवाही बरतने पर बीटगार्ड गुलाब सिंह उइके को निलंबित कर दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि कुड़वा, गोरेघाट व बड़पानी सहित आसपास के गांवों में बाघ का 15 दिनों से मूवमेंट बना हैं। इन गांवों में एक सप्ताह के भीतर बाघ ने पांच बकरियों का शिकार कर लिया। इसके बाद से वनकर्मी को सचेत करते आ रहे हैं। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया और बाघ ने एक किसान का शिकार कर लिया। आरोप है कि शनिवार की रात्रि में वन अमले का स्टाफ गश्त करने की बजाय वनरक्षक कार्यालय में जाकर सो गए थे। रविवार को चार-पांच वनकर्मी इधर उधर घूमते नजर आए और बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए टीम का धान खरीदी केंद्र के पास इंतजार करते रहे। लेकिन टीम रविवार शाम तक नही पहुचीं।
गांव के आसपास चक्कर लगा रहा आदमखोर बाघ
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार बाघ का मूवमेंट अब भी गांव के आस पास बना हुआ है। शनिवार की रात्रि में भी उक्त बाघ घटना स्थल में बनी झोपड़ी तक आया था। वहीं रविवार को घटना स्थल पर दो बार बाघ के पहुंचने की बात ग्रामीण कह रहे हैं। कुछ ग्रामीणों ने रविवार शाम को बाघ को राजीव सागर जलाशय की बड़ी नहर की कैनाल के किनारे झाडिय़ों में बैठा भी देखा। लेकिन ट्रेंकुलाइज टीम नहीं पहुंचने से बाघ को नहीं पकड़ा जा सका।
बकरी का लालच देकर वन अमले ने लगाया पिंजरा
रविवार को स्थानीय वन अमले ने बाघ को पकडऩे लगाए गए पिंजरे में बकरी के बच्चे को बांध बाघ का इंतजार करते रहे। लेकिन बाघ पिंजरे तक नहीं पहुंचा। इस दौरान ग्रामीणों का भारी हुजूम भी आस पास लगा रहा। वन विभाग के अनुसार बाघ की निगरानी करने जंगल क्षेत्र में पांच कैमरे लगाए गए हैं। वहीं पिंजरा लगाकर उसमें बकरी भी बांधी गई है। ताकि बकरी के लालच में बाघ पिंजरे तक पहुंचे और उसे पकड़ा जा सकें।
दहशत के साए में ग्रामीण
ग्रामीणों की मांग है कि जब तक बाघ को पकड़ कर वन विभाग यहां से लेकर नहीं जाते, वे शांत नहीं बैठेंगे। किसानों को बाघ की वजह से अपनी खेत में लगी धान की फसल को लेकर चिंता सताने लगी है। उनकी धान की फसल काटने लायक हो गई है। लेकिन बाघ खेत में विचरण करने से कोई किसान जोखिम लेना नहीं चाहता है।