गुलजार दादी भी कहते थे दादी हृदयमोहिनी को

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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी को हम सभी प्यार से गुलजार दादी भी कहते थे। शिवरात्रि के दिन वह नश्वर देह त्याग कर अव्यक्त हो गईं। वह ज्ञान और पवित्रता की प्रतिमूर्ति थीं। यह बात ब्रह्मकुमारी की मुख्य प्रशासिका हृदयमोहिनी दादी के निधन पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में जानकी दीदी ने कही।

मंडीबामोरा सेवाकेंद्र पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान अतिथियों और गणमान्य नागरिकों ने श्रद्धासुमन अर्पित कर उनकी शिक्षाओं को याद किया। बीना सेवाकेंद्र प्रभारी बीके सरोज दीदी, खुरई सेवाकेंद्र प्रभारी किरण दीदी ने कहा कि दादीजी साक्षात में पवित्रता और ज्ञान की प्रतिमूर्ति थी। मंडीबामोरा सेवाकेंद्र प्रभारी बीके जानकी दीदी ने बताया कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका 93 वर्षीय राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी 11 मार्च को शिवरात्रि के दिन यह नश्वर देह त्याग कर अव्यक्त हो गईं थीं। जब वह 9 वर्ष की थीं तब संस्था के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा द्वारा खोले गए बोर्डिंग स्कूल में दाखिला लिया। दादी का बचपन से ही स्वभाव धीर-गंभीर और शांत था। जितना जरूरत होती थी वह उतना ही बात करती थीं। 18 जनवरी 1969 को ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के बाद 2017 तक आपने 50 वर्षों तक परमात्मा के संदेशवाहक के रूप में भूमिका निभाई। इस अवसर पर उद्यानिकी अधीक्षक प्रवीण साहू, संतोष दुबे, अनिल कपूर, सिरोंज सेवाकेंद्र प्रभारी बीके सरस्वती दीदी, बीके गुड्डी दीदी, बीके गायत्री बहिन, बीके मधु बहिन सहित अन्य मौजूद रहे।

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