सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाने जाने पर घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस ने जस्टिस नजीर की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए और पूछा कि न्यायिक व्यवस्था के लोगों को सरकारी पद क्यों दिए जा रहे हैं।
पार्टी ने रविवार को कहा कि यह न्यायपालिका के लिए खतरा है। साथ ही केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जो भी PM मोदी के लिए काम करता है उसे राज्यपाल बना दिया जाता है।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा- राज्यपाल की नियुक्ति के कारण एक बार फिर से पूरा इकोसिस्टम हिल गया है। उन्हें यह समझना चाहिए कि वे अब भारत को अपनी निजी जागीर नहीं समझ सकते। अब भारत संविधान से चलता है।
पहले जाने कौन हैं जस्टिस अब्दुल नजीर
जस्टिस नजीर 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं। 40 दिन बाद ही उन्हें गवर्नर बना दिया गया है। जस्टिस नजीर राम मंदिर पर फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे। उन्होंने मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था।
रिटायरमेंट के वक्त जस्टिस नजीर ने कहा था- अगर 9 नवंबर 2019 को आए फैसले में उन्होंने अपनी राय अलग रखी होती तो अपने समुदाय के हीरो बन गए होते, लेकिन जस्टिस नजीर ने समुदाय नहीं, देश के बारे में सोचा था। देश के लिए सब न्योछावर है।
इसके अलाव जस्टिस अब्दुल नजीर ट्रिपल तलाक और डिमोनेटाइजेशन जैसे मामलों पर फैसला देने वाली बेंच में भी शामिल रहे हैं।
कांग्रेस ने दिवंगत नेता अरुण जेटली की टिप्पणी के जरिए साधा निशाना
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दिवंगत नेता अरुण जेटली का एक वीडियो ट्वीट किया। 2012 के वीडियो अरुण जेटली कह रहे हैं- रिटायर्ड से पहले के फैसले रिटायर्ड के बाद मिलने वाली नौकरियों से प्रभावित होते हैं। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है। कांग्रेस नेता ने वीडियो के कैप्शन में लिखा- निश्चित रूप से पिछले 3 से 4 सालों में इसके पर्याप्त सबूत हैं।
वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघ ने कहा- हम भी इसी भावना को साझा करते हैं, यह न्यायपालिका के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि यह किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है। क्योंकि मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं, लेकिन हम रिटायर्ड के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति के खिलाफ हैं। सिंघवी ने कहा कि भाजपा का यह बचाव कि यह पहले भी हुआ था, कोई बहाना नहीं हो सकता और मुद्दा जस का तस है।