जा΄च को… जा΄च मे΄ ही रहने दो इसे इल्ज़ाम न दो…

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(उमेश बागरेचा)
बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। गत ०६ सितम्बर को जिले की बैहर तहसील स्थित गढ़ी थानांतर्गत ग्राम बसपहरा के जंगल में कथित नक्सली- पुलिस मुठभेड़ जिसमें छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के झलमला थाना अंतर्गत ग्राम बालसमुंद निवासी झामसिंह धुर्वें नामक आदिवासी की गोली लगने से मौत हो गई थी। यह मामला प्रदेश से लेकर देश की मिडिया में सुर्खियों के साथ उछला परिणामस्वरूप सरकार को मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश देने पड़े। जैसा कि अभी तक सामने आ रहा है उसके अनुसार उक्त नक्सली पुलिस मुठभेड़ को फर्जी तथा झामसिंह धुर्वे की मौत को पुलिस की गोली से होना बताया जा रहा है। शुरूआत में तो पुलिस ने उसे नक्सली बता ही दिया था किन्तु मिडिया में सच सामने आने के बाद पुलिस भी बैकफुट पर आ गई और पुलिस अधीक्षक को कहना पड़ा कि जांच से पता चलेगा कि झामसिंह पुलिस की गोली से मरा या नक्सली की गोली से।

आदिवासियो΄ मे΄ आक्रोश कितना जायज

उधर दूसरी तरफ मंडला-बालाघाट जिले के आदिवासियों में इस घटना को लेकर अत्यधिक आक्रोश है जिसको लेकर गत दिनों बालाघाट में धरना/प्रदर्शन भी हुआ जिसमें बालाघाट, मण्डला, डिण्डोरी, सिवनी आदि जिले के विधायक, जनप्रतिनिधियों के साथ आदिवासी समाज के नेताओं ने हिस्सा लिया जिसमें उन्होने मृतक के परिवार को १ करोड़ का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, घटना की न्यायिक जांच एवं पुलिस अधीक्षक का तबादला तथा दोषियों पर अपराध दर्ज करने की मांग रखी।


तीन जा΄चो΄ मे΄
उलझ गया झामसि΄ह
सरकार ने मजिस्ट्रीयल जांच की घोषणा पूर्व में ही कर दी थी और आज प्रदेश के गृह मंत्री ने सी.आई.डी. जांच की घोषणा कर दी वहीं मानव अधिकार आयोग ने भी इस मामले को संज्ञान में लेकर संबंधितों से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।


भोले, सरल, सीधे एव΄ सच्चे अधिकारी को दे दी जा΄च
मस्ट्रियल जांच जिले में पदस्थ अपर कलेक्टर शिवगोविंद मरकाम को सौंपी गई है, श्री मरकाम साहब के बारे में सर्वविदित ही है कि वे कितने भोले, सरल, सीधे एवं सच्चे व्यक्तित्व के धनी है, इसलिए उनके द्वारा की गई जांच किस तरह की होगी यह जनचर्चा का विषय है, चर्चा यह भी है कि श्री मरकाम राज्य प्रशासनिक सेवा से है जबकि पुलिस अधीक्षक भारतीय पुलिस सेवा से है, अब कनिष्ठ अधिकारी अपने से रेंक में ऊंचे अधिकारी की जांच कैसे करेगा? प्रश्न यह भी है कि इन्ही मरकाम साहब को ३ वर्ष पूर्व खैरी फटाका विस्फोट कांड जिसमें 27 लोग जिंदा जलकर मर गए थे की जांच सौंपी गई थी जिसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो पाई न ही कोई दोषी ज्ञात हुआ।


अधिनस्थ रह चुके अधिकारी करे΄गे जा΄च
सीआईडी जांच की घोषणा के साथ ही आज सरकार ने चार सदस्यीय टीम नियुक्त कर दी है जिसमें पीएचक्यू में पदस्थ डीएसपी नितेश भार्गव को इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर नियुक्त करके जांच हेतु बालाघाट रवाना कर दिया गया है। श्री भार्गव हाल ही में बालाघाट से स्थानांतरित होकर भोपाल गए हैं जो वर्तमान पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी के मातहत लांजी एसडीओपी के रूप में कार्यरत थे। अब ये जनचर्चा का विषय है कि अभिषेक तिवारी के अधिनस्थ रह चुका अधिकारी किस तरह की जांच करेगा।
एसपी के स्थाना΄तरण की मा΄ग न्यायोचित
इन्हीं कारणों के चलते जांच सहीं दिशा मेें तभी जा सकती है जब वर्तमान पुलिस अधीक्षक तिवारी का बालाघाट से स्थानांतरण हो। आदिवासी नेताओं की यह मांग न्यायोचित कही जा सकती है।


कलेटर के विपरित आईजी का बयान
इस बीच पुलिस ने आज एक १२ लाख का इनामी नक्सली जिसका नाम ओसा उर्फ बादल है को गिरफ्तार कर लिया , अब बहुत अधिक संभव है कि गत ०६ सितम्बर की घटना जिसमें झामङ्क्षसह धुर्वे की मौत हुई थी से आज की घटना का लिंक (कनेक्शन )जुड़ जाए, शायद इसी वजह से नक्सली बादल की गिरफ्तारी के बाद आईजी ने बालाघाट मुख्यालय में जो प्रेसवार्ता की उसमें झामसिंह का नाम लिये बगैर कहा कि गत दिवस पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक नक्सली मारा गया अब यहां विरोधाभास आ गया है जबकि दो दिन पूर्व ही जिला कलेक्टर दीपक आर्य ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा था कि मृतक झामसिंह धुर्वें का अब तक नक्सलियों से कोई कनेक् शन नहीं मिल पाया है। अब यहां कलेक्टर की बात सच्ची है या आईजी की ? जांच का विषय बन गया है?


विधायक को रहना होगा शा΄त
बैहर क्षेत्र के कांग्रेस विधायक संजय उइके जो इस मुद्दे को बढ़ चढ़कर उछाल रहे थे और जांच की तथा दोषियों पर कार्यवाही की मांग कर रहे थे आज अचानक कोरोना पॉजीटिव्ह हो जाते हैंं? और १४ दिन के लिए कोरोंन्टाईन । अब इसे भी एक संयोग ही माने । देखना होगा कि आदिवासी नेता/विधायक अब आगे जांच के लिए कितना दम लगा पाते हैं।

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