फूड डिलीवरी और रेस्टोरेंट डिस्कवरी प्लेटफॉर्म Zomato का आईपीओ बीते कई महीनों से सुर्खियों में है, लेकिन इसके पीछे की कहानी भी उतनी ही चौंकाने वाली है। दरअसल Zomato के पास सिर्फ 6 महीने की ही नगदी बची थी, इसलिए कंपनी ने जल्दबाजी में IPO लाने पर काम किया। कंपनी के को फाउंडर और CEO दीपिंदर गोयल ने खुद इस बारे में खुलासा करते हुए कहा था कि कंपनी गहरे संकट में है और उसे इससे बाहर निकलने के लिए IPO के लिए मजबूर होना पड़ा है।
कोरोना महामारी ने कंपनी को पहुंचाया बहुत नुकसान
दीपिंदर गोयल ने बताया कि कोरोना महामारी की पहली लहर ने जोमैटो को झकझोर कर रख दिया था। कंपनी के कारोबार में अचानक 90 फीसदी की गिरावट आई थी। FDI नियमों में बदलाव ने सही काम किया है। इसने एंट फाइनेंशियल जैसी चीनी निवेशक कंपनियों के लिए रास्ता बंद कर दिया गया। गोयल ने बताया कि इस दौरान हमने कंपनी के लिए कई निवेशकों से बात की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे हालात में Zomato के पास सिर्फ 6 महीने का कैश बचा था और उसके बाद इस स्थिति से निकलने के लिए IPO ही एकमात्र रास्ता था।
आईपीओ लाना था बड़ी मजबूरी
गोयल ने कहा कि Zomato के पास IPO लाना ही एकमात्र रास्ता बचा था। उन्होंने बताया कि शुरुआत में हम 50 करोड़ डॉलर के मूल्यांकन पर भी इसके लिए तैयार थे क्योंकि हमें 50 मिलियन डॉलर जुटाने की जरूरत थी। लेकिन समय के साथ चीजें बदल गईं। जब कंपनी ने बीते साल IPO लाने का फैसला किया, तो तरह की मुसीबतों का भी सामना करना पड़ा।
कंपनी ने बाजार नियामक सेबी के साथ मिलकर काम किया। गौरतलब है कि Zomato IPO लाने वाली देश की पहली स्टार्टअप कंपनी थी। आज इसका मूल्यांकन 12 अरब डॉलर के करीब है। कंपनी का आईपीओ जुलाई में आया था और IPO को 40 गुना से ज्यादा सब्सक्राइब किया गया था। शेयर बाजार में इसके 76 रुपए के इश्यू प्राइस से करीब 51 फीसदी के प्रीमियम पर 115 रुपये पर लिस्ट हुआ था।










































