झारखंड की कार नंबर पर एमपी में दौड़ रही थी 15 साल पुरानी बस, दो RTO कर्मचारियों ने किया था खेल

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शहडोल: एमपी के शहडोल स्थित आरटीओ ऑफिस में बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। सरकार ने पर्यावरण में सुधार के लिए 15 साल से पुराने भारी वाहनों को सड़क पर चलाने पर रोक लगा रखी है। 15 साल होते ही पुराने भारी वाहनों का रजिस्ट्रेशन कार्ड का नवीनीकरण नहीं किया जाता है। लेकिन शहडोल के एक बस मालिक ने आरटीओ कार्यालय के दो बाबू के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया है। झारखंड की कार के नंबर की एनओसी लगाकर 15 साल पुरानी बस को शहडोल में चला रहा था।

पुलिस ने केस दर्ज किया

मामले की शिकायत होने पर पुलिस ने बस जब्त कर लिया है। साथ ही धोखाधड़ी का केस किया है। इस मामले में आरटीओ ऑफिस के दो क्लर्क गिरफ्तार हुए हैं। वहीं, बस मालिक फरार चल रहा है।

कार नंबर चल रही थी बस

दरअसल, एक 15 साल पुरानी कबाड़ बस को कागजी हेरफेर से नया बनाकर दोबारा रजिस्ट्रेशन कर दिया गया। झारखंड की फर्जी एनओसी और नकली चेचिस नंबर के जरिए ये कारनामा अंजाम दिया गया। पुलिस ने अब सात साल बाद इस मामले में दो आरटीओ कर्मियों को गिरफ्तार किया है, जबकि मुख्य आरोपी फरार है।


2018 का है पूरा मामला

यह पूरा मामला वर्ष 2018 में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसे शिकायतकर्ता राजेन्द्र सिंह ने सोहागपुर थाना और पुलिस अधीक्षक को सूचित किया था कि बस नंबर MP18-6155 जो 1993 मॉडल की थी। 15 वर्ष से पुरानी बस होने के कारण मध्यप्रदेश में पंजीयन के नवीनीकरण योग्य नहीं थी। इसके बावजूद झारखंड की नकली एनओसी और कार के असली नंबर JH01P-4872 को दर्शाकर बस को झारखंड का बताकर शहडोल में ट्रांसफर करा पुरानी बस का दुबारा पंजीयन करा दिया गया।


आरटीओ कर्मी हैं शामिल

इस पूरे गोरखधंधे में आरटीओ कार्यालय के बाबू अनिल खरे और एम.पी. सिंह बघेल मिले हुए थे। टाटा कमर्शियल की जांच में यह भी साबित हुआ कि बस के चेचिस नंबर को हथौड़े से ग्राइंडर मारकर बदल दिया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे फर्जीवाड़ा को दोनों बाबुओं ने मिलकर किया था। इस मामले की फाइल में आरटीओ के कही भी दस्तखत नहीं थे। बस मालिक ने दोनों बाबुओं को नोटों की भेट चढ़ाकर झारखंड की लाई हुई, एनओसी के जरिए अपनी ही पुरानी बस पर उस नंबर को चढ़ा लिया था। बस को चलवा रहा था।


बस जब्त और जांच शुरू

मामले की शिकायत मिलने के बाद बस को जब्त कर जांच शुरू कर दी गई। पूरे मामले के दस्तावेजों की जांच हुई। पुलिस की जांच में पूरे मामले का खुलासा हुआ। फर्जी एनओसी बाई हैंड झारखंड से शहडोल आरटीओ ऑफिस में जमा की गई। पूरी जांच में यह भी पाया गया कि नियमों को आरटीओ के दोनों बाबू ने खुलकर तोड़ा है। फिलहाल पुलिस ने 2018 के धोखाधड़ी के मामले में आरटीओ ऑफिस के दो कर्मचारी अनिल खरे और एम.पी. सिंह बघेल को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया है, जबकि मुख्य आरोपी बस मालिक पुष्पेन्द्र मिश्रा की तलाश जारी है।

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