ताइवान पर चीनी हमले का जवाबी प्लान तैयार… अमेरिकी सेना जापान में तैनात करेगी ड्रैगन का काल, टेंशन में जिनपिंग

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टोक्यो: अमेरिका और जापान ने ताइवान की सुरक्षा के नजरिए से अहम फैसला लिया है। अमेरिकी सेना जापान के नान्सेई द्वीप और फिलीपींस में अस्थायी सैन्य अड्डे बनाएगी। इन अड्डों पर मिसाइल यूनिट तैनात की जाएंगी। यह योजना अगले महीने, दिसंबर में तैयार हो जाएगी। यह अमेरिका और जापान का पहला ज्वाइंट ऑपरेशन प्लान होगा, जो खासतौर से ताइवान को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। ये तैयारी चीन के ताइवान पर किसी भी हमला का जवाब देने के लिए की जा रही है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग सेना के इस्तेमाल की बात कह चुका है।

क्योडो की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की मरीन लिटोरल रेजिमेंट को जापान के कागोशिमा और ओकिनावा से लेकर ताइवान तक फैले द्वीपों पर तैनात किया जाएगा। इस रेजिमेंट के पास HIMARS (हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम) है। HIMARS एक तरह का मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम है, जो एक साथ कई रॉकेट दाग सकता है। फरवरी 2020 में ओकिनावा में अमेरिकी सेना के प्रशिक्षण क्षेत्र में HIMARS की तस्वीर ली गई थी।

ताइवान पर आने वाले संकट की तैयारी!

रिपोर्ट कहती है कि अगर ताइवान पर संकट (चीन का हमला) गहराएगा तो अमेरिकी सेना के दिशानिर्देशों के अनुसार इन द्वीपों पर अस्थायी बेस बनाए जाएंगे। छोटे-छोटे समूहों में मरीन को कई जगहों पर भेजा जाएगा। जापान की सेल्फ-डिफेंस फोर्स (SDF) अमेरिकी मरीन को सहायता प्रदान करेगी। इसमें ईंधन और गोला-बारूद की आपूर्ति शामिल है।

अमेरिकी सेना फिलीपींस में मल्टी-डोमेन टास्क फोर्स (MDTF) की लंबी दूरी की फायर यूनिट तैनात करेगी। MDTF को हवा, जमीन, पानी, अंतरिक्ष, साइबर और सूचना क्षेत्र में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। फरवरी 2023 में, अमेरिका और फिलीपींस ने अमेरिकी सेना के इस्तेमाल के लिए फिलीपींस में ठिकानों की संख्या बढ़ाकर नौ करने पर सहमति जताई थी। ताइवान संकट के दौरान इन ठिकानों का इस्तेमाल किया जाएगा।

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