दो दिनों में 180 किमी. का सफर कर बालाघाट पहुंचा छुक-छुक का इंजन

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पुरातत्व प्रेमियों के छह साल पूर्व से किए जा रहे प्रयास गुरूवार को सफल होते नजर आया। दो दिन पूर्व 21 नवंबर को नागपुर के मोतीबाग से करीब 180 किमी. का सडक़ मार्ग का सफर कर जिले की 100 साल पुरानी नेरोगेज ट्रेन का इंजन बालाघाट के पुरातत्व शोध संग्रहालय में पहुंचा। यहां 24 नवंबर को प्लेटफार्म को पूरी तरह से तैयार कर छह साल से खड़ी बोगी से इंजन को जोड़ दिया जाएगा। इसके साथ ही पुरातत्व प्रेमियों और जिलेवासियों का धरोहर जक्शन का सपना पूरा होगा।ज्ञात हो कि बालाघाट जिले में नेरोगेज ट्रेन का काफी पुराना इतिहास रहा है। गोंदिया, बालाघाट से जबलपुर के लिए जिलेवासी इसी ट्रेन में सफर किया करते थे। कम स्पीड में चलने के कारण इस नेरोगेज ट्रेन को जिलेवासी छुक-छुक ट्रेन के नाम से भी जानते हैं। जिले के ग्रामींण अंचलों के स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थी भी इसी ट्रेन से आवागमन कर जिला मुख्यालय शिक्षा ग्रहण करने पहुंचा करते थे। इस कारण इस ट्रेन से उनकी बचपन की यादें और भावनाएं भी जुड़ी हुई है। इसीलिए लंबे समय से उक्त ट्रेन को धरोहर के रूप में स्थापित किए जाने की मांग की जा रही थी।

सेल्फी लेने का दिनभर चला दौर
गुरूवार को लंबा पड़ाव पार कर पहुंचे इंजन को देखने व सेल्फी लेने बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी। संग्रहालय अध्यक्ष डॉ वीरेन्द्र सिंह गहरवार, सुभाष गुप्ता, श्याम सिंह ठाकुर, सचिन, समीर गहरवार ने इंजन को लाने के अनुभव सांझा किए। वहीं मौके पर पहुंचे पर्यटन प्रबंधक एमके यादव, अजय सिंह ठाकुर, सचिन कृष्णनन, विजय सूर्यवंशी, हर्ष बैस, बाबूलाल गोमासे, और अन्य पुरातत्व प्रेमियों ने नेरोगेज से जुड़े अपने अनुभव सांझा किए। सभी ने कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ के साथ ही एक-दूसरे को भी शुभकामनाएं और बधाई दी। वहीं सभी ने यादास्त के रूप में सेल्फियां भी ली।

इंजन को लाने लंबे समय से किया जा रहे थे प्रयास- गहरवाल
संग्रहालय अध्यक्ष डॉ वीरेंद्र सिंह गहरवार ने बताया कि इसके पूर्व में नेरोगेज की बोगी की स्थापना को लेकर काफी प्रयास किए गए। तब सन 2017 में तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव के समय संग्रहालय को नेरोगेज की बोगी 98242 रुपए में रेलवे ने प्रदान की थी। जिसे जन सहयोग से राशि एकत्रित कर संग्रहालय में स्थापित भी किया जा चुका है। इसके बाद से ही इंजन को भी संग्रहालय में लाए जाने के प्रयास किए जा रहे थे। वर्तमान कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा ने इस विषय में विशेष रूचि दिखाई और परिणम शीघ्र सबके सामने है। नेरोगेज ट्रेन का इंजन संग्रहालय में पहुंच चुका है। जिसे कलेक्टर डॉ मिश्रा के मार्गदर्शन में स्थापित किया जा रहा है। इस इंजन के संग्रहालय में स्थापित होने के बाद न सिर्फ संग्रहालय और शहर का गौरव बढ़ेगा। बल्कि पुरातत्व के क्षेत्र में संग्रहालय का नाम विश्व पटल पर अंकित होगा। जिले की आगामी पीढ़ी भी जिले की 100 साल पुरानी नेरोगेज ट्रेन और उसके इतिहास को जान सकेंगी।

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