धनतेरस पर्व पर कहा जाये तो नगर के सराफा बाजार और बर्तन बाजार मे उतना धन नही बरसा जितना की अपेक्षा की जा रही थी।धनतेरस पर्व पर अच्छे व्यवसाय की उम्मीद लगाकर बैठे व्यपारियों को फिर भी यह उम्मीद है कि ५ दिवसीय इस पर्व के दौरान व्यपार पर छाई मंदी पर उठाव जरूर आयेगा। हालांकि दीपावली पर्व के दौरान विधानसभा चुनाव आने के कारण व्यपार पर उतना उठाव नही आयेगा जितना की व्यपारी सोच रहे है। वही किसान भी दीपावली पर्व औपचारिकता से मनाने की मन बना चुका है जिसके पीछे का कारण उसकी फसल कटाई को बताया जा रहा है।
बढ़ी हुई महंगाई ने डाला असर
व्यवसाय पर एक दम से पडे असर के पीछे लोगों का कहना साफ तौर पर आ रहा है कि इस महंगाई भरे दौर मे जब पेट भरना ही भारी पड़ रहा है तो फिर सोना, चांदी और बर्तन का क्या काम, लगातार बढ़ रही महंगाई लोग काफी त्रस्त नजर आ रहे है जिसका सीधा असर किसी भी धर्म के तीज त्यौहारों पर पड़ता हुआ दिख रहा है। इस दौरान बाजारों मे भीड़ तो दिखाई देती है मगर खरीददारी करने वालों मे उतना उत्साह नही रहता जितना बीते वर्षों मे दिखाई देता था।
त्यौहार बने औपचारिकता
इस बढ़ती हुई महंगाई के दौर मे खानापूर्ति जैसे मनाये जाने लगे है। लोगों की जेब पर महंगाई काफी भारी पड़ते हुये दिख रही है जिसका सीधा उदाहरण 10 नवंबर को मनाये जा रहे धनतेरस पर्व से दिखाई दिया। सराफा व बर्तन बाजार मे भीड़ तो जुटी मगर यह भीड़ द्वारा खरीदी गई सामग्री मात्र त्यौहार की औपचारिता से भरी दिखी। आसमान छू रहे सोना, चांदी और बर्तन के भाव सुनते ही लोगों की आधी हालत पतली हो गई और लोगों ने इन दुकानों से मात्र खानापूर्ति किये जाने का ही समान खरीदकर त्यौहार का आनंद उठाया। जिसकी वजह से ही व्यापारी वर्ग काफी निराश दिखाई दे रहा है।
लोगों का रूझान खरीददारी मे दिखा कम
व्यापारी वर्ग को धनतेरस पर्व से शुरू हो रही दीपावली पर्व की खरीददारी को लेकर काफी उत्साह था ऐसे में लोगों की पहले जैसी भीड़ दुकानों में नहीं उतर रही है जहां पर लोग पहुंच कर अपनी आवश्यकता अनुसार वास्तु की खरीदी कर रहे हैं फिर चाहे वह मिठाई हो मिट्टी के दीपक हो या रंगोली कपड़े सभी जगह धनतेरस के दिन भीड़ देखने को नहीं मिला जिनके द्वारा उम्मीद जताई जा रही है कि यह चार दिन का त्यौहार बचा है ऐसे में लक्ष्मी पूजा के पहले बाजार उठेगा।
पटाखा बाजार मे छाई मायूसी
गौर करने वाली बात है कि इस दौरान धनतेरस पर्व पर पटाखा बाजार मे भी मायूसी छाई रही। अपेक्षा के अनुरूप पटाखा व्यवसायियों का धनतेरस पर्व पर उतना व्यवसाय नही हुआ जितना की उन्होने उम्मीद लगाकर रखी थी। इस मर्तबा धनतेरस पर व्यवसाय काफी मंदा है लेकिन आगामी समय इस व्यपार उठेगा व पिछली बार से ज्यादा व्यापार किया जाने की बात कही जा रही है। इस समय बच्चों की फरमाईस के फटाखे ही लोग खरीद रहे है। जहाँ फटाखे स्वदेशी है जो शिव काशी से बुलाये गये है।
भगवान धनवंतरी की हुई पूजा
हालांकि ५ दिवसीय दीपावली पर्व का आगाज धनतेरस पर्व से हो गया और इस दौरान जन्मे भगवान धनवंतरी की पूजा अर्चना लोगों ने पूरे विधि विधान से की और उनसे जीवन भर आरोग्य रहने का आर्शीवाद मांगा। यहां यह बताना लाजमी है कि भगवान धनवंतरी को औषधी देवता के रूप मे भी पहचाना जाता है क्योकि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी समुद्र से औषधीयों से भरा कटोरा लेकर प्रकट हुये थे। बहरहाल धनतेरस पर्व के समाप्त होने के बाद आज नरक चौदस पर्व मनाया जायेगा और कल लक्ष्मी पर्व दीपोत्सव।
व्यापारी आकाश जैन ने पदमेंश से चर्चा में बताया कि जिस तरह से व्यापार होना चाहिए तो वह भीड़ बाजार में नहीं दिख रही है। जिसका एक कारण यह है कि लोगों के पास पैसा ना होने के कारण वह बाजार में नहीं आ रहे हैं अपने स्थानीय स्तर पर आवश्यकता की खरीदी कर रहे है। वही विधानसभा चुनाव भी चल रहे हैं जिसके कारण बाजार में भीड़ नहीं है धनतेरस की शाम या लक्ष्मी पूजा के दिन बाजार मैं उठाव आने की संभावना लग रही है। श्री जैन ने बताया कि व्यापार में मंदी तो है इस दौरान महंगाई का भी अहम रोल है पहले 20 रुपये किलोग्राम रंगोली मिलती थी वह अब 40 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है यह महंगाई अकेली रंगोली या साथ सजा की चीजों में ही नहीं हर व्यापार में बड़ी हुई है। जिसके कारण लोग ज्यादा की जगह कम चीज खरीद रहे हैं।