नक्सलियों के डर को धता बताकर बालाघाट में लांजी तहसील के पौसेरा गांव की महिलाएं सबला बन गई हैं। ये महिलाएं आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बन गई हैं। महिलाएं बारिश हो या गर्मी रोजाना नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांवों में 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलकर दूध खरीद कर लाती हैं। जिसका दही और घी बनाने का कार्य खुद कर शहर में बेचने ला रही हैं।
सूरज स्व-सहायता समूह पौसेरा की महिलाएं देवनी, राधा, आरती, चैनवती ने बताया कि वर्ष 2019 में समूह का गठन किया गया। समूह में 15 महिलाएं हैं। इसमें छह महिलाएं इस कार्य को कर रही हैं। करीब दो लाख रुपये दूध से दही व घी बनाने के लिए आजीविका मिशन से लिया था।

इसके लिए दूध लेने रोज छह महिलाएं गातापार(छत्तीसगढ़), मछुरदा, सर्रा, नेवरवाही, चिलौरा में जाकर दूध खरीद कर लाती हैं। दूध से घर में ही दही, घी बनाकर एक आटो से शहर में लाकर गली-गली में बेच रही हैं। इनका गांव महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सीमा पर होने से दोनों राज्यों से लगे गांवों के लोग इनके घर आकर दही, घी लेकर जाते हैं। इससे सभी महिलाएं हर माह 12 से 15 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त कर रही हैं।
महिलाओं के पास पहले कोई कामकाज नहीं था। आजीविका मिशन के समूह से जुड़कर गांव-गांव में जाकर दूध खरीदकर समूह की महिलाएं लाती है। उसके बाद दही व घी बनाकर शहर में बेच रही है।इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई है।
पौसेरा गांव की महिलाओं को आजीविका मिशन की तरफ से सहायता दी गई है। जिससे जंगल वाले गांवों में जाकर दूध खरीदकर लाती हैं। जिसका दही व घी बनाकर शहर में बेचती हैं। इससे समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई हैं। आगामी दिनों में दही व घी बनाने के लिए मशीन बड़े शहर से मंगवाई जाएगी। जिससे महिलाओं को सहूलियत मिल सके।










































