बालाघाट(पदमेश न्यूज़)
जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में दीपावली के तीसरे दिन शनिवार को गाय खिलावन की रस्म अदा की गई।जहां जगह-जगह आखर मैदान खिलियां मुठिया में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर, अहिर और गोवारी समाज के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी। वहीं गाय खिलाने की रस्म अदा कर भगवान गोवर्धन का आशीर्वाद प्राप्त किया।जिसकी एक झलक नगर मुख्यालय बस स्टैंड स्थित खिलीया मुठिया देव मंदिर ,आखर मैदान में भी देखने को मिली।जहां परम्परानुसार गोवारी व अहीर समाज द्वारा आखर मैदान में स्थित खिलिया मुठिया देवता की पूजा अर्चना कर गाय खिलाने की परम्परा भी निभाई गई।जहां परम्परा अनुसार सर्वप्रथम गाय के गोबर से गोवर्धन का पुतला बनाया गया और खिलिया मुठिया देवता की पूजा अर्चना की गई।उसके बाद गोवर्धन के पुतले के उपर से गाय व अन्य मवेशियो का पार करवाया गया। उसके बाद गोबर से तिलक वंदन कर बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लेकर दीपावली पर्व की बधाईयां दी गई।इस दौरान नवजात शिशुओ व बच्चो को गोवर्धन के पुतले पर लेटाकर गोबर से उनका तिलक वंदन किया गया। सामाजिक बंधुओ ने बताया कि ऐसा करने से बच्चो के बाल जीवन में आने वाले सारे कष्ट दूर हो जाते है और उनके लंबे जीवन की कामना की जाती है।
दोहे गाकर,शहनाई की धुन पर किया पारंपरिक नृत्य
आपको बताए की इस पर्व विशेष में पारंपरिक नृत्य का एक विशेष महत्व होता है जिस का आनंद उठाने हर कोई खिलीया मुठिया देवस्थान पहुंचता है।आज शनिवार को भी इस पारंपरिक नृत्य का लुत्फ उठाने आखर मैदान में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे। जहां नगर मुख्यालय बस स्टैंड स्थित खिलिया मुठिया मंदिर में गोवारी समाज सहित अन्य समाज के लोगों द्वारा श्रीफल व सिंदुर कुमकुम चढाकर पूजा अर्चना की गई। जिसके बाद गोवारी समाज द्वारा आखर मैदान को चारों ओर से बांधकर गोवर्धन देवता की पूजा अर्चना कर गाय खिलावन रस्म अदा की गई। जैसे ही गाय खेलने लगी तो सभी सामाजिक बंधुओं मेंं खुशी की लहर दौड़ गई। यहां सभी ने मंदिर प्रागंण मे बनाए गोबर के गोवर्धन से गोबर उठाया और एक-दूसरे को तिलक लगाकर गले मिलकर बंधाईयां दी। आखर मैदान में भारी शोर-गुल और जनसमुदाय के बीच पारम्परिक रुप से गाय खिलाई गई। जिसके बाद गोवारा और अहीर समाज के लोगों ने दोहा गाकर रूंजा, टिमकी, डीजे और शहनाई की धुन पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। जहां हर्षोल्लास का यह दौर देर शाम तक देखा गया।
कोसमी आखर मैदान में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गाय खिलावन पूर्व
इसी कड़ी में जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत कोसमी में भी गोवारी समाज द्वारा गोवर्धन पूजा और गाय खिलावन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जहां दिन भर विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए।उधर प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी गोवारी समाज द्वारा कोसमी आखर मैदान में गाय खिलाने की रस्म को अदा किया गया। इस दौरान पहले तो गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया गया। जिसे चारों ओर से आकर्षक फूलों से सजा कर विधि-विधान के साथ उसकी पूजा अर्चना की गई ।जहां वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार गाय खिलावन की रस्म को अदा कर गाय के गोबर का तिलक लगाकर एक दूसरे को पर्व विशेष की बधाइयां दी गई। जहां वर्षों पुरानी परंपरा के दौरान गाय खिलाने की रस्म अदा कर विशेष समुदाय द्वारा पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए।
मड़ाई मेलों का दौर हुआ शुरू
ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि गोवर्धन पूजा और गाय खिलावन की रस्म के पूरे होते ही अब मड़ाई मेलों का दौर शुरू हो गया है इसी कड़ी में कोसमी में गाय खिलावन की रस्म के बाद शाम 4 बजे दीपावली की पहली मंडई भरायी गई और यहां रात्रि के समय सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। बताया गया कि यह मंडई कई वर्षों से गाय खिलावन की रस्म के बाद शाम को भरायी जाती है और यह क्रम निरंतर वर्षों से चलता आ रहा है।
गोंगलाई में भी गाय खिलावन की रही धूम
इसी तरह जिला मुख्यालय से सटे ग्रामीण अंचलों में भी गाय खिलावन रस्म की धूम देखी गई। जहां ग्राम कोसमी के अलावा ग्राम गोंगलई भी इस रस्म को अदा कर यादव और गवरी समाज के लोगों ने पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति देकर हर किसी का मन मोह लिया। ग्राम पंचायत गोंगलई में पूर्व वर्षों की भांति ग्रामीण आखर मैदान में एकत्रित हुए जहां सामाजिक बंधुओ ने डार जगाकर गोवर्धन पर्वत का गोबर से निर्माण किया। जिसे आकर्षित रंगोली और फूलों से सजाकर उसकी विधि विधान के अनुसार पूजा अर्चना की। तो वहीं खिलाया मुठिया देव, आखर मैदान में विशेष पूजा अर्चना कर गाय खिलावन की रस्म अदा की गई। जिसमें गाय के बछड़े को गोवर्धन पर्वत पर लिटाकर यह रस्म निभाई गई। वही गाय खिलावन रस्म के बाद पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसके उपरांत सभी ने एक दूसरे को गाय के गोबर का तिलक लगाकर दीपावली पर्व और गाय खिलावन रस्म की बधाइयां दी।
8 वर्ष बाद गायखुरी में शुरू हुई गाय खिलावन की रस्म
उधर नगर के गायखुरी में पिछले 8 वर्षों से बंद गाय खिलावन की परंपरा को एक बार फिर से शुरू किया गया। बताया जा रहा है कि पहले गायखुरी में गाय खिलावन की रस्म अदा की जाती थी।जो पिछले कई वर्षों तक चली। लेकिन 8 वर्ष पूर्व किसी कारण के चलते इस परंपरा को बंद कर दिया गया था। जिसे यादव समाज द्वारा 8 वर्ष बाद एक बार फिर से शुरू की गई है। जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह यादव समाज के लोग आखर मैदान पहुंचे। जहां आखर मैदान की साफ सफाई की गई वहीं गाय खिलावन रस्म की तैयारी कर पूर्व वर्षों की भांति गाय खिलावन की रस्म अदा की गई। बताया जा रहा है कि इस वर्ष गाय खिलाने के लिए 07 गाय और उनके 07 बछड़ों को आखर मैदान लाया गया था। जिसमें से 06 गाय और 6 बछड़ो के साथ यह रस्म अदा की गई है। जहां यादव समाज के लोगों ने यह रस्म अदाकार दोहे गाकर पारंपरिक नृत्य किया। तो वहीं उपस्थित जनों को गाय के गोबर का तिलक लगाकर दीपावली पर्व और गाय खिलावन रस्म की बधाइयां दी गई ।