नया सत्र, पुराना बोझ: एमपी के 24000 प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ोतरी की जानकारी देने में की लापरवाही, टल गई पारदर्शिता

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भोपाल: मध्य प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में फीस को लेकर पारदर्शिता की कमी देखने को मिल रही है। राज्य के लगभग दो-तिहाई स्कूलों ने फीस और उसमें होने वाली बढ़ोत्तरी की जानकारी सरकार को नहीं दी है। सरकार ने जानकारी देने की अंतिम तारीख को आगे भी बढ़ाया था, लेकिन फिर भी 34714 में से केवल 10181 स्कूलों ने ही नियमों का पालन किया है।

पैरेंट्स संगठन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्कूल वित्तीय रिकॉर्ड और फीस में बदलाव की जानकारी नहीं दे रहे हैं, जिससे फीस में मनमानी बढ़ोत्तरी हो सकती है। शिक्षा विभाग ने सभी प्राइवेट स्कूलों को अपनी सालाना आय-व्यय का ब्यौरा, प्रस्तावित फीस ढांचा और फीस बढ़ाने का कारण बताने के लिए कहा था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि पारदर्शिता बनी रहे और पैरेंट्स पर अनावश्यक बोझ न पड़े।

नहीं किया निर्देशों का पालन

अधिकारियों का कहना है कि भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों के स्कूलों के साथ-साथ छोटे जिलों के स्कूलों ने भी निर्देशों का पालन नहीं किया है। पैरेंट्स एसोसिएशन इस बात से चिंतित हैं कि स्कूल बिना किसी जांच के फीस बढ़ा सकते हैं। पैरेंट्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी, प्रबोध पंड्या ने कहा कि सरकार को उन स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो अंतिम तारीख बढ़ने के बाद भी जानकारी नहीं देते हैं। नियमों के अनुसार स्कूलों को हर साल 1 जनवरी तक अपनी जानकारी देनी होती है।

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