मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले का लाड़पुरा खास गांव पर पर्यटकों को ऐसा लाड़ (स्नेह) आया कि इसे यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म आर्गेनाइजेशन ने ‘बेस्ट टूरिज्म विलेज” श्रेणी में अवार्ड के लिए नामांकित किया है। भारत में इसके अलावा मेघालय के कोंगथोंग और तेलंगाना के पोचमपल्ली गांव का नामांकित किया गया है। बुंदेली संस्कृति से ओतप्रोत इस गांव को यह पहचान महिलाओं ने दिलाई है। वे न सिर्फ पर्यटकों के लिए बनाए गए होम स्टे का संचालन करती हैं बल्कि खुद ई-रिक्श्ाा भी चलाती हैं। कोरोना की दूसरी लहर में पर्यटन पर लगी पाबंदियों के कारण पर्यटक यहां नहीं आए। लेकिन अब धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं।

ओरछा के प्रख्यात रामराजा मंदिर से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव को मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड ने देसी-विदेशी पर्यटकों को बुंदेलखंड की संस्कृति से रूबरू कराने के लिए 28 अगस्त 2019 को चुना। इसके बाद गांव की शिक्षित महिलाओं से संपर्क कर होम स्टे योजना को शुरू किया गया। अब गांव में सात होम स्टे हैं । गांव में होम स्टे के लिए सबसे पहले 46 वर्षीय उमा पाठक सामने आईं। खेती करने वाले उनके परिवार ने पांच एकड़ जमीन पर दो होम स्टे और उसके सामने बगीचा तैयार किया। उमा कहती हैं कि पहले तो लगा कि काम बहुत कठिन हैं लेकिन जब ओरछा घूमने वाले पर्यटक हमारे यहां स्र्के और विजिटिंग डायरी में यहां की तारीफ लिखकर गए तो मन में बहुत सुकून आया। हमने उनका बुंदेली शैली में स्वागत किया। बुंदेली व्यंजन परोसे तो वे बहुत खुश हुए। बिजली समस्या से निपटने के लिए हमने सौर ऊर्जा लगवाने के लिए पंजीयन कराया है। उमा के साथ-साथ रेखा कुशवाहा और कमला कुशवाहा होम स्टे का संचालन कर रही हैं। उनके यहां पर अभी तक काफी पर्यटक स्र्क चुके हैं। दोनों ही होम स्टे आकर्षक लाइटों से सजे हुए हैं। कमरों में बुंदेली संस्कृति की झलक नजर आती है।
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झोपड़ी नुमा बने घर, मिलता है ठढूला और बरा
गांव के घरों से आकर्षक पहाड़ का नजारा दिखता है, तो कहीं घना जंगल। बेतवा नदी का पानी भी इस गांव से करीब आधा किमी दूर ऊंचाई से गिरता है, जहां पर कल-कल की आवाजें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। बुंदेलखंड से लुप्त हो रहे कृषक संयंत्रों को भी प्रदर्शित किया गया। बैलगाड़ी को आकर्षक रंगों से सजाया गया है। पर्यटकों को भोजन के रूप में विशुद्ध बुंदेली व्यंजन कड़ी, पकौड़ा, बरा, गुलगुला, महेरी, ओरिया, ठढूला, मऊआ का लटा, बिरचुन, रसखीर, मालपुआ, बालूसाई, रजगिरा लड्डू परोसे जाते हें। यहां रुकने के एवज में पर्यटकों को 15 सौ से दो हजार स्र्पये तक चुकाने होते हैं। जिसमें खाना और घूमना भी शामिल रहता है। योजना शुरू होने के बाद यहां अब तक दो सैकड़ा पर्यटक ठहर चुके हैं। 1110 जनसंख्या वाले इस गांव में 80 फीसद से ज्यादा लोग शिक्षित हैं।
बुंदेली व्यंजनों का स्वाद कभी नहीं भूलूंगा
दिल्ली से आए पर्यटक सौरभ श्रीवास्तव ने एक होम स्टे की विजिटिंग बुक में लिखा है कि वे रामराजा के दर्शन के लिए आए थे, होम स्टे में स्र्कना उनके लिए यादगार रहा। यहां के बुंदेली व्यंजनों का स्वाग कभी नहीं भूलंगा।
कथन-
लाड़पुरा गांव में महिलाओं ने आगे आकर कार्य किया है। गांव के होम स्टे में 200 से ज्यादा पर्यटक रुक चुके है। कोरोना कि वजह से विदेशी पर्यटक नहीं आये। लेकिन अब हमने नये सिरे ये तैयारी शुरू की है। महिलाओं को विदेशी पर्यटकों से बातचीत करने और यहां की संस्कृति से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण दिया है।
मनोज सिंह, डायरेक्टर, होम स्टे, मप्र टूरिज्म बोर्ड भोपाल
लाड़पुरा गांव को यह सम्मान मिलना बड़ी उपलब्धि है। प्रशासन गांव पर विशेष ध्यान दे रहा है। ग्राम पंचायत सहित अधिकारियों को इस गांव पर फोकस कर आगे भी अच्छा करने के लिए कहा है। यूएन अवार्ड में नामांकित होने से ग्रामीणों में खासा उत्साह है।
– नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, कलेक्टर निवाड़ी