बचपन में मां की मौत हुई तो वनकर्मी ने बॉटल से दूध पिलाकर पाला

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मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां के जंगलों में खूब बाघ हैं और उनकी कहानियां भी काफी चर्चित हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क के दो बाघों की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। बचपन में इन शावकों ने अपनी मां को खो दिया। एक वनकर्मी ने उसे पाला। इससे दोनों बाघ, बाघिन को मनुष्यों से लगाव हो गया और वे अब जंगल में रहना नहीं चाहता, इसलिए बड़े होने पर बाघ को 27 मई को रीवा के मुकुंदपुर सफारी में शिफ्ट किया गया है। इससे पहले बाघिन को पिछले साल ही भोपाल के वन विहार में शिफ्ट किया गया है।

पढ़िए इस बाघ की कहानी

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क में एक बाघिन की मौत हो गई। उस समय उसके मेल और फीमेल शावक की उम्र मुश्किल से दस या बारह दिन की रही होगी। वन विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली तो पहले दोनों शावकों को ताला रेंज स्थित एक कमरे में लाकर रखा गया। कुछ दिन बाद बमेरा डेम के समीप वॉच टावर में तार की फेंसिंग लगाकर छोड़ दिया गया। इसी वाॅच टॉवर में ड्यूटी थी वनकर्मी योगेंद्र सिंह की।

वॉच टावर में योगेंद्र ऊपर रहकर जंगल की निगहबानी करते और नीचे तार फेंसिंग में शावकों की अठखेलियां चलती रहती। योगेंद्र ने दोनों शावकों का बड़े प्यार से पालन-पोषण किया। दूध पिलाया, खाना खिलाया। यह क्रम करीब डेढ़ साल से ज्यादा समय तक चला और शावकों के बड़े होकर बाघ बनने के बाद भी योगेंद्र उनके लिए एक तरह से मां की तरह ही रहे। दोनों बाघ, बाघिन और योगेंद्र के बीच व्यवहार भी ऐसा ही रहा कि कोई भी देखे तो चकित रह जाए।

वनकर्मी योगेंद्र और युवा होते बाघों का वीडियो अप्रैल 2019 में सोशल मीडिया में वायरल हुआ। वन्य प्राणी प्रेमियों ने इस पर आपत्ति जताई । इसके बाद दोनों बाघों को बमेरा के वॉच टावर से मगधी रेंज के बहेरहा बाड़े में छोड़ा गया। इसमें एक मादा बाघिन को पिछले साल वन विहार भोपाल भेजा गया था। नर बाघ को 27 मई की शाम 4 बजे मुकुंदपुर सफारी भेजा गया। वनकर्मी योगेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी ड्यूटी इन दिनों ताला रेंज में है।

इसलिए नहीं रखा खुले जंगल में

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विसेंट रहीम बताते हैं कि बहेरहा स्थित बाड़े में रखे नर बाघ को राजा मार्तण्ड सिंह जू मुकुंदपुर भेजा गया। नर बाघ का लालन-पालन मनुष्यों द्वारा किए जाने के कारण यह मानव उपस्थिति का आदी हो गया था। पिछले महीने वन्य जीव विशेषज्ञों के दल ने इसे खुले जंगल में छोड़ने जाने के लिए फिट नहीं पाया था। 26 मई 2021 को मुकुंदपुर सफारी से संचालक संजय राजखेरे के नेतृत्व में एक टीम बांधवगढ़ पहुंची। 27 मई 2021 को सायं 4.30 बजे बाड़े में ट्रंकुलाइज कर 6.15 बजे मुकुंदपुर रवाना किया गया। रात में वहां बाड़े में छोड़ा गया। इस दौरान सहायक संचालक स्वरूप दीक्षित, अभिशेष तिवारी, वन्य जीव सहायक शल्यज्ञ डॉ. नितिन गुप्ता, डॉ. तोमर व टाइगर रिजर्व के अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।

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