बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।एक ओर शासन प्रशासन द्वारा प्रत्येक गांव को शहर से जोड़ने के लिए पक्की सड़को की सौगात दिए जाने और शहरो से लेकर गांवों तक सड़को का जाल बिछाने का दावा किया जाता है। तो वही जिले में अब भी ऐसे कई शहरी व ग्रामीण इलाके हैं। जहां के वाशिंदों को आज तक पक्की सड़क की सौगात नही मिल पाई है।वही जिन जगहों पर पक्की सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया गया था या तो उसका कार्य आधा अधूरा पड़ा है या फिर उस काम को छोड़कर ठेकेदार ने काम ही बंद कर दिया है।जिसके चलते स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।ताजा मामला ग्राम पंचायत गुदमा का है।जहां ग्राम गुदमा से लगमा होते हुए मंजीटोला व मुक्की तक जाने वाली मुख्य सड़क की दुर्दशा को लेकर ग्रामीणों का सब्र अब टूटने लगा है।जहा पिछले 15 वर्षों से जर्जर मार्ग का पक्का निर्माण ना होने से ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों ने इस जर्जर मार्ग के निर्माण को लेकर मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौपा है। जिसमें उन्होंने यथाशीघ्र उक्त समस्या का समाधान ना होने पर आंदोलन का रास्ता अपनाने की चेतावनी दी है।
बरसात में कीचड़ का दलदल बन जाता है मार्ग
पक्की सड़क बनाए जाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों ने बताया करीब 3 किमी लंबी यह सड़क कई गांवों को जोड़ती है, जिसमें गुदमा, लगमा, मंजीटोला और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों लोग प्रतिदिन आवागमन करते हैं। यह मार्ग कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से भी सटा हुआ है और स्कूली बच्चों, ग्रामीणों, गर्भवती महिलाओं तथा बीमार व्यक्तियों के लिए जीवन रेखा के समान है। बावजूद इसके भी इस मार्ग को पक्का नहीं किया जा रहा है।जिसके चलते बरसात के दिनों में यह मार्ग दलदल बन जाता है। जहां से आवागमन करने में 6 से 7 गांवो के ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी होता है मुश्किल
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में यह मार्ग पूरी तरह कीचड़ से भर जाता है, जिससे न केवल दोपहिया व चार पहिया वाहन चलाना असंभव हो जाता है, बल्कि पैदल चलना भी जोखिम भरा हो जाता है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों को अस्पताल तक ले जाना एक चुनौती बन जाता है। ग्रामीणों के अनुसार, सुविधा के अभाव में कुछ मामलों में गर्भवती महिलाओं की जान तक चली गई है। इसीलिए हमारी मांग है कि इस मार्ग को बरसात के पूर्व पक्का बनाया जाए ताकि स्थानीय गांव के ग्रामीणों को उक्त मार्ग से आवागमन करने में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
15वर्षों से लंबित है मांग,मिलता है सिर्फ आश्वासन
ग्रामवासियों ने बताया कि सड़क न होने की वजह से ग्राम गुदमा और लगमा क्षेत्र की बड़ी आबादी स्वास्थ्य, शिक्षा, आवागमन, रोजगार और विकास जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। स्थानीय पंचायतों की ओर से भी कई बार प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन वह फाइलों में दबकर रह गए।ग्रामीमो के अनुसार पिछले 15 वर्षों से सड़क निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक इस मार्ग को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना या अन्य किसी योजना के तहत स्वीकृति नहीं मिल सकी है। शासन-प्रशासन की इस अनदेखी से क्षेत्रीय जनता बेहद नाराज़ है और अब विरोध स्वरूप आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
कई बार कर चुके है मांग, नही होती सुनवाई-
ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम पंचायत गुदमा के ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि गांव के मुख्य मार्ग को बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से की जा रही है। इस कच्चे मार्ग को पक्का बनाने की मांग को लेकर हम सभी कलेक्टर कार्यालय आए हैं। हमारी मांग है कि गुदमा से लगमा तक सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी जाए और बरसात शुरू होने से पहले मार्ग को सुधारा जाए, ताकि ग्रामीणों को कीचड़ व उबड़ खाबड़ रास्ते से राहत मिल सके। कई बार इस सड़क को बनाने की मांग की जा चुकी है ।पूर्व में जब जिला अधिकारी उनके गांव आए थे तो उन्होंने सड़क का नाप झौक कराया था।इसके पूर्व भी कई बार एस्टीमेट और फाइल बनाकर भेजा गया है लेकिन हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसीलिए आज मजबूरन हमें कलेक्टर कार्यालय आना पड़ा है।यदि इस ओर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया, तो ग्रामवासी आंदोलन को बाध्य होंगे, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन की होगी।