बांग्लादेश में लॉकडाउन की मार से बचने के लिए ढाका छोड़ रहे मजदूर,16 करोड़ की आबादी कल से 14 दिन के लिए लॉक

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बांग्लादेश में एक जुलाई से 14 दिनों का सख्त लॉकडाउन लगने जा रहा है, जो प्रवासी मजदूरों के लिए मुसीबत बन गया है। लॉकडाउन की मार से बचने के लिए मजदूर जल्द से जल्द राजधानी ढाका छोड़ना चाहते हैं। इसलिए वे बाइक, ऑटो रिक्शा, लोडिंग ऑटो, ट्रक और एंबुलेंस तक का सहारा ले रहे हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान हमारे पास काम नहीं होता। काम नहीं करेंगे तो किराया कैसे चुकाएंगे? पेट कैसे पालेंगे? इसलिए हम सब कुछ बांधकर गांव लौट रहे हैं। क्योंकि लॉकडाउन में शहर छोड़ने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।

दरअसल, बांग्लादेश में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं 23 जून से ठप हैं। ऐसे में मजदूरों के बीच ढाका छोड़ने की हड़बड़ी है। उनकी हड़बड़ाहट देखकर नौका सेवाएं भी 24 घंटे काम कर रही हैं। नावों पर क्षमता से अधिक लोग सवार हो रहे हैं। एक-एक बोट पर हजारों लोग सवार हो रहे हैं।

मुंशीगंज पोर्ट पर तैनात सब इंस्पेक्टर मोहम्मद रेजा बताते हैं कि हम नहीं चाहते कि लोग क्षमता से अधिक सवार हों, पर मजदूर बात ही नहीं सुन रहे हैं। सरकार द्वारा संचालित बांग्लादेश अंतर्देशीय जल परिवहन निगम के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार को करीब 80 हजार मजदूरों ने पलायन किया। एक हफ्ते में 5 लाख से ज्यादा मजदूर ढाका छोड़ चुके हैं।

उधर, लॉकडाउन लगने से पहले लोगों ने महीनों का राशन जुटाना शुरू कर दिया है। हालात ये हैं कि कई शहरों में स्टोर तक खाली होने लगे हैं। वहीं मजदूरों का पलायन देख बांग्लादेश ने भारतीय सीमाएं भी 14 दिन के लिए सील कर दी हैं। सरकार का मानना है कि रोजगार की तलाश में मजदूर भारत जा सकते हैं, जो नई मुसीबत बन सकते हैं।

वीसा पर भारत आए बांग्लादेशी

15 दिनों के वीसा पर उपचार के लिए भारत आए बांग्लादेशी नई दिल्ली, कोलकाता और अगरतला में जरूरी अनुमति लेकर ही बेनापोल, अखौरा और बूरीमारी सीमाओं से बांग्लादेश में प्रवेश कर सकते हैं। उनके लिए आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी और यह 72 घंटे के अंदर ही कराई जानी चाहिए।

15 महीने बाद रिकॉर्ड केस मिले

बांग्लादेश में डेल्टा वैरिएंट के कारण कोरोना के मामले बढ़े हैं। सोमवार को रिकॉर्ड 8364 केस मिले, जो 15 माह में सबसे ज्यादा हैं। बांग्लादेश में 8 मार्च 2020 को कोरोना का पहला मामला सामने आया था। अब तक 8,96,770 केस सामने आ चुके हैं। 14,276 लोगों की मौत हो चुकी है। 807,673 ठीक हो चुके हैं।

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