वारासिवनी अंतर्गत ग्राम पंचायत सावंगी के तुमडीटोला की नदी के दो मुहान पर 20 सितंबर को दो बाघ के द्वारा अपनी आमद दर्ज कराई गई। जहां पर उनके द्वारा हरा चारा चर रहे मवेशियों पर शिकार करने का असफल प्रयास किया गया जिसमें दो मवेशियों के शरीर पर हिंसक वन्य प्राणी बाग के पंजे एवं दांत से खरोच के निशान स्पष्ट देखे जा रहे हैं। तो वही मवेशी को चरने के लिए लेकर गए लोगों के द्वारा भी बाघ के दर्शन प्रत्यक्ष रूप से किए गए जिन्होंने एकजुट होकर बाघ को खदेड़ने का कार्य किया। जिसमें किसी मवेशी का शिकार तो नहीं हुआ परंतु मवेशी घायल हो गए जिनमें शरीर से रक्त बहने लगा जिन्हें तत्काल घर लाया गया और मामले की जानकारी वन विभाग वारासिवनी को दिए गई। यह घटना से पूरे ग्राम में भय का वातावरण बना हुआ है लोग सहेम गए हैं जो मवेशी चराने और खेती कार्य के लिए भी जाने के लिए संकोच कर रहे हैं। जिनके द्वारा वन विभाग से बाग के स्थान परिवर्तन करवाने की मांग की जा रही है।
यह है पूरी घटना
तुमडीटोला के ग्रामीणों के द्वारा अपने मवेशियों को चराने के लिए नदी किनारे लेकर जाया जाता है। क्योंकि खेती कार्य चल रहा है लोगों की फसल खेतों में लगी हुई है जिसके कारण जंगल किनारे नदी में मवेशियों को चराने के लिए ले जाते हैं। इसी कड़ी में 20 सितंबर को भी ग्रामीणों के द्वारा मवेशियों को चढ़ाने के लिए जंगल से लगे नदी किनारे दो मुहान पर ले जाया गया था जहां पर उन्हें छोड़ दिया गया। सभी चरवाहे यानी मवेशी मलिक पेड़ की शीतल छाव में बैठे हुए थे तभी अचानक दोपहर करीब 4 बजे मवेशी जोर-जोर से चिल्लाने और इधर-उधर भागने लगे। जिन्हें देख वह लोग मवेशियों को पकड़ने के लिए गए तो देखा कि दो हिंसक वन्य प्राणी मवेशियों को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं जिस पर उनके द्वारा आस पड़ोस में कार्य कर रहे लोगों को आवाज देकर संयुक्त रूप से बाघ को भगाने के लिए कार्य किया गया। उसके बाद तत्काल मनवेशियों को घर लाया गया जिसमें ग्राम के टीकाराम पंचेश्वर की एक गाय और बैल को बाघ के द्वारा खरोच कर घायल कर दिया गया था। जिसकी सूचना उनके द्वारा वन विभाग को दी गई जिन्होंने मौके पर पहुंचकर प्रकरण तैयार कर मुआवजे की कार्यवाही की है।
ग्रामीणों में दहशत व्याप्त
घटना की जानकारी लगते ही पूरे ग्राम में दहशत का माहौल बना हुआ है जहां पर लोग डरे हुए हैं। जो जंगल किनारे मवेशी चराने के लिए नहीं ले जा पा रहे हैं तो वही उक्त स्थान पर लोगों के खेत भी स्थित है जहां पर जाने से लोग कतरा रहे हैं। ऐसे में लोग जा भी रहे हैं तो झुंड बनाकर आना-जाना कर रहे हैं क्योंकि उन्हें बाग की जानकारी नहीं है तो वहीं नदी किनारे निवासरत लोग भी मकान में स्वयं को सुरक्षित समझते हुए शाम से ही दरवाजा लगा रहे हैं। जिससे लोग बहुत ज्यादा डर गए हैं वह वन विभाग से उक्त बाघ का रेस्क्यू कर दूसरे स्थान पर ले जाने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें होने वाली परेशानी का निराकरण हो सके।
मृत बाघ के साथी है यह बाघ
दो बाग के द्वारा शिकार करने का प्रयास जिस स्थान पर किया गया है वह वही स्थान है जहां करीब 4 माह पहले बाघ के शावक का शव मिला था। यह तीन सदस्य थे जिनका उक्त क्षेत्र में लगातार मूवमेंट बना हुआ था जिनके द्वारा मवेशियों का शिकार और खेतों में कार्य कर रहे लोगों के द्वारा देखा भी जाता था। जिसमें से एक की मृत्यु के यह दो पूरे क्षेत्र में मूवमेंट बनाकर रखे हुए हैं हालांकि एक बाघ की मृत्यु के बाद इनका मूवमेंट सामने नहीं आया था। परंतु 4 महीने बाद अब यह सामने आया है जिससे लोग दहशत में है क्योंकि उन्हें लग रहा था कि यह पलायन कर गया है परंतु उन्होंने अपनी आमद के साथ स्पष्ट कर दिया है कि वह उक्त क्षेत्र में उपस्थिति बनाए हुए हैं।
प्रत्यक्षदर्शी विजय पंचेश्वर ने बताया कि हम वृक्ष की छांव में बैठे हुए थे जहां पर हमारे 10 मवेशी और पड़ोसी सहित अन्य लोगों के मवेशी साथ में चल रहे थे। मौके पर 20 से 25 मवेशी उपस्थित थे जो नदी के दो मुहान में थे तभी दो बाघ आये वह कहां से आए पता नहीं क्योंकि आते हुए दिखे नहीं। जब गाय बैल भागने लगे तो पता चला तो हमने उन बाघ को देखा पीले रंग का पट्टे वाला था जहां पर लोग आए और साथ में मिलकर उन्हें भगाने का कार्य किया। इस घटना के बाद से दहशत तो बनी हुई है वह करीब 3 फुट से अधिक उचे थे हमें बहुत ज्यादा डर लगा पर साथ में लोग थे और मवेशियों को बचाना था।
प्रत्यक्षदर्शी सूरजलाल पंचेश्वर ने बताया कि जंगल किनारे नदी में हम लोगों के मवेशी चरा रहे थे उनकी ऊंचाई की जानकारी तो नहीं है पर उन्हें देख मवेशी भागने लगे तो पता चला। उन्होंने गाय को नीचे गिरा दिया था और बैल पर हमला करें हम 6 से 7 लोग या अधिक लोग जमा होकर उन्हें भगाएं। वह दो बाघ थे पट्टे वाले थे। हल्ले के कारण हमें जानकारी लगी और हम प्रतिदिन 5 से 6 बजे तक मवेशी को चराते हैं परंतु अब डर लग रहा है और यह घटना गांव के नजदीक की है।
पीड़ित टीकाराम पंचेश्वर ने बताया कि 20 से 25 मवेशी थे तब हमारी गाय एवं बैल पर बाघ ने हमला किया जिन्हें चोट आई है। नुकसान हुआ है हमें मवेशी का वह अभी चारा और पानी नहीं खा रहे हैं घटना की जानकारी हमने फॉरेस्ट के लोगों को दी थी तो उन्होंने आकर प्रकरण बनाकर खर्च की पर्ची बनाने कहां है कि मुआवजा देंगे। यह वही स्थान है जहां पर मृत बाघ मिला था उस समय विभाग वाले आये थे जानकारी लेते थे परंतु उसके बाद फिर कोई दिख नहीं। आज हमारे जानवर पर हमला हो गया हमें मुआवजा मिलना चाहिए और इस प्रकार छोटे से जंगल में ऐसे हिंसक प्राणी रहेंगे तो हमारा क्या होगा। विभाग इन्हें पड़कर दूसरे स्थान पर लेकर जाए क्योंकि हमने मवेशी उनके लिए नहीं पाली है शासन पशुपालन को बढ़ावा देती है परंतु ऐसी हिंसक प्राणियों पर रोक नहीं लगती है।
जनपद सदस्य संदीप राणा ने बताया कि कल शाम बताये की नदी में तुमडीटोला के लोग जानवर चलाने गए थे। जहां 4:00 बजे दो जानवर को शेर ने पंजा मारा बता रहे हैं कि यह दो बाघ है। इनका मोमेंट यहां आज नही पहले से बना हुआ है पंजा मारने की घटना तो कल की है उसके पहले भी बाघ को लोगों के द्वारा देखा गया है। वन विभाग के अधिकारियों को इधर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए करंट के कारण पहले बाघ मारा गया था 4 महीने पहले यह वही है। जो पहले तीन बाघ साथ में घूमते थे अब दो है यह जंगल के अंदर शिकार कर रहे हैं और मोमेंट लगातार बना हुआ है। विभाग को कैमरा लगाकर इनके मूमेंट का ध्यान रखना चाहिए और दूसरे स्थान पर ले जाकर छोड़ना चाहिये। हम यदि देखें तो वन विभाग की उपस्थिति ग्राम में नगण्य है शुरू में कुछ दिन दिखे थे फिर शून्य है।
इनका कहना है
दुरभाष पर चर्चा में बताया कि बाघ के द्वारा मवेशियों को घायल करने की सूचना संज्ञान में आई थी। जिस पर वन अमले को भेजकर स्थिति का जायजा लिया गया मौके पर प्रकरण तैयार कर मुआवजे की कार्यवाही की जा रही है। विभाग के द्वारा लगातार गस्त की जा रही है और यह बाघ को ट्रैक करने का कार्य किया जा रहा है।