बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस को हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है और जिले में भी यह दिवस खिलाडिय़ों के द्वारा पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा लेकिन जिले में खिलाडिय़ों के लिए बेहतर संसाधनों की कमी और सरकार की नीतियों को लेकर ना तो खिलाड़ी खुश हैं और ना ही प्रशिक्षक। जिले में वैसे तो नगर में खिलाडिय़ों के लिए काफी कुछ सुविधा उपलब्ध है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में खिलाडिय़ों के लिए किसी तरह के संसाधन उपलब्ध नहीं है वही खेल विभाग से जुड़े कर्मचारियों की बात करें तो काफी ऐसे संविदा कर्मचारी हैं जो अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं लेकिन अब तक सरकार के द्वारा उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया है जिससे वे काफी मायूस है और उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में वह सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।

खेल संसाधनों की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी
खिलाडिय़ों को तराशने के लिए जहां एक ओर प्रशिक्षकों की जिला स्तर पर कमी है वहीं दूसरी और खिलाडिय़ों को भी खेल संसाधनों से जद्दोजहद करते हुए अपनी प्रतिभा को निखारना पड़ रहा है ऐसा नहीं है कि जिला स्तर पर खिलाडिय़ों की सुविधा को ध्यान में रखकर बदलाव नहीं किया जा रहे हैं लेकिन उनकी रफ्तार इतनी धीमी है कि खिलाडिय़ों को सुविधा के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो जिले के अधिकांश क्षेत्रों में खेल सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव है।
ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधा का पूरी तरह से अभाव- प्रज्ञात वासनिक
इस संदर्भ में पद्मेश न्यूज़ से चर्चा के दौरान खेल युवा समन्वयक प्रज्ञात वासनिक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेल विभाग के द्वारा खेल युवा समन्वयको के नियुक्ति की गई है जो एकेडमिक स्तर पर खेल गतिविधियों पर निगाह रखते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधा का पूरी तरह से अभाव है जहां एक और मैदानों की काफी कमी है वहीं दूसरी ओर खेल संसाधनों को लेकर भी खिलाडिय़ों को जद्दोजहद करना पड़ता है हालांकि खेल विभाग के द्वारा समय-समय पर खिलाडिय़ों को खेल सामग्री उपलब्ध कराई जाती है लेकिन वह वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए नाकाफी है।
सरकार की नीतियों से मायूस खेल विभाग के कर्मचारी
खेल विभाग से जुड़े कर्मचारियों सरकार के प्रति काफी आक्रोश है वहीं सरकार की नीतियों को लेकर भी प्रशिक्षक खिलाड़ी काफी मायूस है सरकार के द्वारा 5 जून 2018 को संविदा नीति लाई गई थी जिसका बेहतर तरीके से पालन भी किया गया लेकिन अब तक संविदा आधार पर कार्य कर रहे खेल विभाग के कर्मचारियों को नियमित नहीं किया गया है हालांकि 10 साल बाद खेल विभाग के कर्मचारियों को 90 प्रतिशत वेतन वृद्धि का लाभ मिला है लेकिन भविष्य की सुरक्षा को लेकर अब भी प्रशिक्षक और कर्मचारी चिंतित हैं।

सरकार खेल विभाग के कर्मचारियों की कर रही अनदेखी- कराते प्रशिक्षक
इस संदर्भ में पद्मेश न्यूज़ से चर्चा के दौरान खेल विभाग के कराते प्रशिक्षक साजेंद्र कृष्णन ने बताया कि ब्लॉक युवा समन्वय और प्रशिक्षकों को जमीनी स्तर पर सुविधा मिलनी चाहिए ताकि वह खिलाडिय़ों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए तैयार कर सकें लेकिन जिले में हालात इसके विपरीत हैं वहीं कर्मचारियों को आर्थिक तौर पर भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वहीं कोविड- अनुकंपा योजना कल आप भी खेल विभाग के कर्मचारियों को अब तक नहीं मिला है शासन के द्वारा जिस तरह के कठिन नियम बनाए गए हैं उससे सबसे ज्यादा खेल विभाग के कर्मचारियों को परेशानी हो रही है उन्होंने कहा कि संविदा नीति के तहत कर्मचारियों को नियमित किया जाना था लेकिन अब तक यह नहीं हो पाया हर साल काल अवधि का नियम अपनाया गया है जिससे भय के साए में कर्मचारी काम करते हैं उन्होंने कहा कि कालावधी को समाप्त किए जाने की पहल सरकार को करनी चाहिए।
खिलाडिय़ों की सुविधा को बेहतर बनाने का प्रयास करें सरकार-दिव्या सौलखें
इस संदर्भ में चर्चा के दौरान खेल युवा समन्वयक दिव्या सौलखें ने बताया कि हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं आज भी खिलाड़ी मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं जहां खेल संसाधनों की काफी कमी है इस और सरकार के द्वारा अब तक ध्यान नहीं दिया गया
राष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल करने वाले खिलाडिय़ों को मिले रोजगार -संतोष पारधी
इस संदर्भ में पद्मेश न्यूज़ से चर्चा के दौरान ग्रामीण युवा समन्वयक संतोष पारधी ने बताया कि प्रशिक्षकों के द्वारा जिन खिलाडिय़ों को तैयार किया जाता है और उन खिलाडिय़ों के द्वारा बेहतर प्रदर्शन कर यदि पदक हासिल कर लिया जाता है उसके बाद भी उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल पाती और बेरोजगार रहते हैं उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा कहा गया था कि नेशनल लेवल पर जीत कर आने वाले खिलाडिय़ों को पुलिस विभाग में सीधी भर्ती के तहत नौकरी दी जाएगी लेकिन यह केवल घोषणा ही बनकर रह गई वहीं उन्होंने कहा कि खेल विभाग में जो अनुबंध प्रक्रिया चलाई जा रही है वह खेल कर्मचारियों के लिए काफी दिक्कतें पैदा कर रही है इस पर भी रोक लगनी चाहिए।