बूस्टर डोज: कोरोना से राहत या लापरवाही

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चीन, अमेरिका जैसे देशों से आ रही खबरों की मानें तो दुनिया में कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। कोरोना के नए-नए वैरिएंट कई देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं, लेकिन बालाघाट में इससे बचाव के लिए जरूरी बूस्टर डोज को लेकर लोगों का रुझान समय के साथ कम होता जा रहा है। करीब दो सप्ताह पहले कोरोना की संभावित लहर को देखते हुए राज्य सरकार के निर्देश पर जिले में २८ दिसंबर से बूस्टर डोज लगाने की शुरुआत की गई थी, लेकिन सोमवार तक इन 13 दिनों में सिर्फ 750 लोग ही बूस्टर डोज लगाने पहुंचे हैंं

आपको बता दें कि अर्बन क्षेत्र में ट्रामा सेंटर में इन दिनों कोरोना का बूस्टर डोज लगाया जा रहा है। 28 दिसंबर से इसकी दोबारा शुरुआत की गई थी, लेकिन दिन गुजरने के साथ यहां बूस्टर डोज लगवाने वालों की संख्या कम हो रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में कोरोना के खतरे की कम संभावना को देखते हुए लोगों का बूस्टर डोज के प्रति रुझान कम हो रहा है। शुरुआत में कोरोना को लेकर लोगों में डर था, लेकिन अब नहीं है। नर्सिंग सुपरवाइजर दुर्गावती मेश्राम ने बताया कि विभाग द्वारा 28 दिसंबर को 1500 उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें अब तक 750 डोज लगाई जा चुकी है जबकि 750 डोज अब भी बाकी है। पहले रोज 60 से 50 लोग बूस्टर डोज लगवाने पहुंचते थे, लेकिन धीरे-धीरे ये संख्या 20 तक पहुंच गई है। वहीं, इस संबंध में जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. परेश उपलप ने बताया कि कोरोना के खतरे को लेकर स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से लोगों को बूस्टर डोज अवश्य लगवाना चाहिए। शासन स्तर पर जिले के लिए 11 हजार डोज की डिमांड भेजी गई, लेकिन आवश्यकता पडऩे पर डोज मंगाई जाएगी।

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