ब्रम्होस के बाद एक और अजेय मिसाइल बनाने की तैयारी? रफ्तार से कांपेंगे चीन-पाकिस्तान!

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नई दिल्ली: 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ ने देश को भारत की तकनीकी दक्षता से जुड़ी एक उपलब्धि के बारे में जानकारी दी। उड़ीसा टेस्ट फायर रेंज से भविष्य की संभावनाओं से भरे एक प्रोजेक्ट से जुड़े सफल टेस्ट के बारे में जानकारी दी गई। रक्षा मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट प्रप्लशन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस सफलता के साथ, सभी महत्वपूर्ण तकनीकें अब अगले चरण की ओर जाने के लिए सुनिश्चित हो गई हैं।’

इस तकनीक का भविष्य में कई तरह से इस्तेमाल हो सकेगा। जिसमें कम लागत के साथ सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता के अलावा नई पीढ़ी की मिसाइलें बनाना शामिल हैं। वैसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) समय समय पर मिसाइलों और रॉकेट प्रणाली के अलग-अलग तरह के टेस्ट करता रहता है लेकिन यह परीक्षण कई मायनों में बेहद अलग और खास है।

यह पहली बार है जब भारतीय रक्षा क्षेत्र के हायपरसोनिक हथियार प्रणाली विकसित करने की दिशा में ठोस सफलता हासिल हुई है। इस नींव पर भविष्य के भारत की मिसाइल क्षमता को विकसित किया जाएगा। साथ ही अब अमेरिका, रूस, चीन के एक खास क्लब में भारत ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है।

लद्दाख में एलएसी पर जारी तनाव की परिस्थिति के बीच भी इस सफलता के अपने मायने हैं। दरअसल कई अलग-अलग रिपोर्ट्स में ऐसी बातें कही जाती रही हैं कि भारत के तुनीर में मौजूद हथियारों में से ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल चीन का सबसे बड़ा सिरदर्द है। वजह है इसकी बेहद रफ्तार के साथ अचूक वार करने की क्षमता है।

2.5 से 2.8 मैक के बीच आवाज की गति से कहीं ज्यादा रफ्तार से उड़ती इस मिसाइल को रोकना दुनिया के किसी भी डिफेंस सिस्टम के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि जब तक इसे रोकने की कोशिश होती है, मिसाइल लक्ष्य को तबाह कर चुकी होती है। मतलब अगर भारत ने ब्रह्मोस को दागा तो लक्ष्य की तबाही तय है और शायद इसलिए इसे अजेय मिसाइल की संज्ञा भी दी जाती है।

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक मिसाइल है जिसे भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है जिसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी पर रखा गया है। भारत ने न सिर्फ चीन से सटी सीमा पर इसकी तैनाती कर रखी है बल्कि वियतनाम, फिलीपींस सहित दक्षिण चीन सागर के कुछ देशों को इसे बेचने की खबरें भी आती रही हैं। इस मिसाइल को फिलहाल दुनिया की सबसे तेज और क्षमतावान मिसाइल होने का गौरव हासिल है, जिसे हवा, समुद्र और जमीन कहीं से भी दागा जा सकता है।

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