मध्य प्रदेश में निर्बाध रूप से जारी रहेगी महाराष्ट्र से मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाय

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मध्य प्रदेश में महाराष्ट्र से मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाय निर्बाध रूप से जारी रहेगी। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार के 7 सितंबर 2020 के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें कहा था कि महाराष्ट्र में कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मप्र को मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाय नहीं की जा सकेगी। इंदौर के एमवाय अस्पताल प्रबंधन ने आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। बुधवार को हाई कोर्ट की युगल पीठ ने इसकी सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है।

मध्य प्रदेश के अस्पतालों में लगने वाली कुल मेडिकल ऑक्सीजन का एक बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र से आता है। कोरोना महामारी की वजह से प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ी हुई है। लगभग यही स्थिति महाराष्ट्र में भी है। कोरोना के प्रकोप के चलते वहां भी मेडिकल ऑक्सीजन की मांग सामान्य से कई गुना बढ़ी हुई है। मेडिकल ऑक्सीजन की मांग और सप्लाय में आ रहे अंतर को देखते हुए 7 सितंबर 2020 को महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी कर मप्र को मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाय पर रोक लगा दी थी। महाराष्ट्र का कहना है कि महाराष्ट्र के मरीजों की पूर्ति ही नहीं हो पा रही है तो दूसरे प्रदेश के मरीजों के लिए सप्लाय कैसे की जा सकती है।महाराष्ट्र से मेडिकल ऑक्सीजन मिलने से मध्य प्रदेश के अस्पतालों में इसकी कमी होने लगी थी। इंदौर के एमवाय अस्पताल प्रबंधन ने इस परेशानी को देखते हुए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि चूंकि प्रदेश में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है ऐसे में मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाय को रोका नहीं जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि महाराष्ट्र सरकार के प्रदेश को सप्लाय नहीं देने के निर्णय पर रोक लगाई जाए। महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव और अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट के समक्ष तर्क रखे कि प्रदेश के आधार पर कोरोना के मरीजों में भेदभाव नहीं किया जा सकता। जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला ने महाराष्ट्र सरकार के आदेश पर रोक लगा दी। अतिरिक्त महाधिवक्ता भार्गव ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि आगामी आदेश तक प्रदेश के अस्पतालों में महाराष्ट्र से मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाय निर्बाध रूप से जारी रहेगी। कोर्ट अब इस मामले में 19 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।

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