ग्वालियर में मानसिक रूप से अस्वस्थ्य महिलाओं के लिए अलग से गृह बनेगा। हिंसाग्रस्त ऐसी महिलाओं के लिए अभी तक गृह की कोई व्यवस्था जिलों में नहीं है। नई दिल्ली में केद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री की हाल ही में आयोजित हुई बैठक में यह मुददा उठा था जिसके बाद ग्वालियर अब इस प्रस्ताव पर अमल करेगा। ग्वालियर के महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी है।
देश में महिलाओं और बच्चों पर ज्यादा अपराध वाले जिलों में इस दिशा में सुधार के मकसद से भारत सरकार सुरक्षा उपायों और तंत्र को और मजबूत कर रही है। इसी क्रम में नईदिल्ली में में सोमवार को देश के ऐसे 100 शहरों के कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षकों को बुलाया गया। इन शहरों में महिला और बच्चों पर अपराधों का आंकड़ा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से लिया गया और इसी आधार पर शहरों की सूची बनाई गई। ग्वालियर भी इन शहरों में शामिल है।
अभी तक बड़े शहरों में परामर्श,अब सभी जगह होगा
16 से 18 साल के ऐसे किशोर जो किसी कारणों से विधि विवादित की श्रेणी में आ जाते हैं,उनके लिए अभी सिर्फ बड़े शहर जैसे दिल्ली,बेंगलुरू में ही मनोवैज्ञानिक परामर्श की सुविधा मिलती है। ऐसे किशोरों के लिए अलग से विशेष परामर्श होना चाहिए जिससे इनकी मन की बात बाहर आ सके। विशेष परामर्शदाता अपने तरीके से इनकी बात समझेंगे और विश्लेषण सामने आने के बाद सुधार किया जा सकेगा। ऐसे विश्लेषणों के माध्यम से सामान्य किशोरों और उनके अभिभावकों को जागरूक किया जा सकेगा।
यह भी अन्य जिलों से आए अहम सुझाव
-मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य महिलाएं जो हिंसा ग्रस्त होती हैं,उन्हें रखने के लिए देशभर में अभी अगल से गृह की व्यवस्था नहीं है। अब निर्भया फंड के माध्यम से होम खोले जाएंगे। इसके लिए ग्वालियर जल्द प्रस्ताव देगा।
-महिला के घायल होने पर सबसे पहले फर्स्ट एड सिस्टम लागू किया जाएगा,पहले महिला का इलाज होगा जोकि सबसे जरूरी है। इसके लिए फर्स्ट एड टूल तैयार किया जाएगा।
-आपात स्थिति-परेशानी में फंसे होने के दौरान महिलाओं के लिए फर्स्ट प्वाइंट कांटेक्ट सिस्टम बनेगा यानि पुलिस सबसे पहले सामने नहीं आएगी,बल्कि महिला को सुरक्षित जगह रख सभी कार्रवाईयां की जाएंगी।
-महिलाओं व बच्चों के क्षेत्र में कार्य करने वाली एनजीओ की प्रोफाइल चेक होगी। यदि कोई भी एक शिकायत या आरोप है तो वह कार्य नहीं करेगी।