बालाघाट जिले के बैहर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बैगाओ का एक पारंपरिक व जान पहचान बढ़ाने के साथ-साथ नया जीवन साथी चुनने का एक अनोखा आयोजन होता है और यह दीपावली के बाद प्रारंभ हो जाता है । यह बहुत अच्छा आयोजन व पारंपरिक होने से सुर्खियों में है
यह ऐसा कार्यक्रम है जिसमें मादर की थाप पर कर्मा ददरिया गाकर बैगा परिवार न सिर्फ थिरकते हैं बल्कि पारंपरिक वेशभूषा में संस्कृति को संजोए भी रखते है । इस दौरान वे अपना सामाजिक स्तर पर मनोरंजन के करने के साथ ही अपने नया जीवन साथी भी उसी दौरान तलाश लेते हैं। दरअसल यह एक आयोजन दीपावली के बाद प्रारंभ होता है और कुछ दिनों तक ही ऐसा चलता है इसके पश्चात ना किसी तरह का मनोरंजन करते हैं और ना ही जीवन साथी तलाशने की प्रक्रिया करते हैं। इसमें वे एक साथ एकत्रित होते हैं और वे इस मनोरंजन के कर्मा ददरिया कार्यक्रम में नाचते कूदते ही अपने जीवनसाथी को चुन लेते हैं । और उसके पश्चात वे आपस में दांपत्य जीवन के रूप में जुड़कर वैवाहिक आयोजन करते हैं और यह परंपरा जिले में काफी चर्चा में है। देख सकते हैं बैगा परिवार किस तरह से कर्मा ददरिया गाकर मांदर की थाप पर नाचते हैं और और अपने जीवन साथी की तलाश करते हैं।