बालाघाट जिले के भीतर साल दर साल मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। इनमें सबसे अधिक चौंकाने वाला आंकड़ा नवजात शिशु छोटे बच्चों का आ रहा है। विशेषज्ञ अधिक उम्र में शादी, नशा और कई वजह इसकी बताते है। जिसे सामान्य जीवन में हर कोई इग्नोर कर देता है।
जिला निशक्त पुनर्वास केंद्र किस साइकोलॉजिस्ट अंजू मेश्राम बताती है कि बी के 10 वर्ष के दौरान लगातार जिले की भीतर मानसिक रूप से रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है इस साल यह आंकड़ा सबसे ऊपर पहुंच गया है इसकी मुख्य वजह वर्तमान परिवेश प्रदूषण अधिक उम्र में शादी होना नशा और गर्भ अवस्था में विशेष ध्यान नहीं देना।निश्चित समय के साथ-साथ लोगों में जागरूकता आई है लेकिन बालाघाट वासियों में इसका आज भी अभाव है नतीजा शादी विवाह करते समय लोग कुंडलियां तो मिला लेते हैं लेकिन आज भी हमारे जिले के भीतर आरएस फैक्टर का मिलान नहीं किया जाता। नतीजा इसका प्रभाव आगामी पीढ़ी पर पड़ता है चलिए जानते हैं विस्तार से की यह आरएस फैक्टर है क्या।