यूजर्स के निजी डाटा पर नहीं लगेगी सेंध, 10 प्वाइंट्स में जानें डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल के बारे में

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डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा ने मंजूरी दे दी है। केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार घोषित करने के 6 साल बाद इस विधेयक को लाया गया है। इसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा व्यक्तियों के डाटा के दुरुपयोग को रोकने का प्रावधान है।

डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल:

  1. जो कंपनियां यूजर डाटा का इस्तेमाल करती हैं और डाटा स्टोर करने के लिए किसी थर्ड पार्टी डाटा प्रोसेसर का इस्तेमाल करती हैं तो उन्हें यूजर डाटा को सुरक्षित रखना होगा।
  2. अगर डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड के फैसले को लेकर कोई अपील करना चाहता है तो उसे टेलिकॉम डिस्प्यूट्स सैटेलमेंट और एप्लेट ट्रिब्यूनल द्वारा सुना जाएगा।
  3. कंपनियों को डाटा सिक्योरिटी अधिकारी नियुक्त करना होगा। साथ ही इसकी जानकारी यूजर्स को भी देनी होगी।
  4. डाटा उल्लंघन के मामले में, कंपनियों को डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड (डीपीबी) और यूजर्स को जानकारी देनी होगी।
  5. बच्चों और अक्षम व्यक्तियों के डाटा को उनके अभिभावकों की सहमति के साथ ही स्टोर किया जाना चाहिए।
  6. डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड उन लोगों को पूछताछ के लिए बुला सकता है जो लोगों के पर्सनल डाटा के साथ काम करते हैं।
  7. डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड किसी भी तरह के ब्रीच को देखते हुए पैनल्टी का निर्णय लेगी।
  8. सरकार ने यूजर्स का निजी डाटा भारत से बाहर किसी भी दूसरे देश में स्टोर करने पर पाबंदी लगा दी है। इसकी सीधा मतलब यह है कि अब यूजर्स का डाटा भारत में ही स्टोर किया जाएगा।
  9. अगर DPDP बिल का दो बार से ज्यादा उल्लंघन किया जाता है तो डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड किसी संस्था को ब्लॉक भी कर सकती है।
  10. डाटा ब्रीच की पैनल्टी 250 करोड़ रुपये तक जाती है।

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