जिस जिले का षिक्षा स्तर प्रदेष में सुर्खियां बनता है, जहां के होनहार छात्र-छात्राएं बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का परचम लहराते हैं, वहां के हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य पिछले दो सालों से दांव पर लगा हुआ है। रानी दुर्गावती विष्वविद्यालय से छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी बनने के बाद से जिले के हजारों काॅलेज छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधेरे में जा रहा है। वजह है छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली में व्याप्त भारी लेटलतीफी। इसी लेटलतीफी और उदासनीता के चलते कई छात्र-छात्राओं को आगे की पढ़ाई या नौकरी के लिए आवेदन करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित परीक्षा में देरी, परीक्षा परिणामों में महीनों की देरी के कारण छात्र-छात्राएं भारी समस्याओं से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि अब समय के साथ बालाघाट में यूनिवर्सिटी खोलने की मांग जोर पकड़ने लगी है। छात्र-छात्राओं ही नहीं काॅलेज प्रबंधन और वरिष्ठ प्राध्यापक सहित षिक्षा जगत से जुड़े लोग भी जिले में यूनिवर्सिटी शुरू करने की मांग को जायज ठहरा रहे हैं। जिले में विष्वविद्यालय खुलने से न सिर्फ बच्चों को शैक्षणिक कार्यांे के लिए दूसरे शहर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही समय पर परीक्षा का आयोजन हो सकेगा और परीक्षा परिणामों में देरी की गुंजाइष भी कम होगी। जिले के सबसे बड़े महाविद्यालय शासकीय जटाषंकर त्रिवेदी महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी इसी पीड़ा से परेषान हैं। छात्र-छात्राओं के भविष्य को लेकर परेषान होने की कई वजहें हैं, जिसमें सबसे अधिक परेषानी छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी द्वारा समय पर परीक्षा का आयोजन नहीं कराना है। वर्तमान में बीएससी सहित कई विषयों की परीक्षाएं छह महीने विलंब से हो रही है। इतना ही नहीं परीक्षा परिणाम घोषित करने में भी छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी इस कदर लेटलतीफी कर रही है, जिससे हजारों बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। परीक्षा के आयोजन में देरी अथवा मार्कषीट समय पर न मिलने के कारण छात्र-छात्राएं न तो आगे की कक्षाओं की पढ़ाई के लिए किसी अन्य काॅलेज में फाॅर्म भर पाते हैं और न ही शासकीय विभागों की भर्ती परीक्षाओं में आवेदन कर पाते हैं। करीब दो साल पहले रानी दुर्गावती विष्वविद्यालय से छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी में बदलने के बाद से जिले के हजारों छात्र-छात्राओं को मार्कषीट, परीक्षा के आयोजन से लेकर परीक्षा परिणामों में अंसतुष्टि से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
महाविद्यालय में पढ़ाई भगवान भरोसे
शासकीय जटाषंकर त्रिवेदी महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बातचीत में बताया कि एक तरफ छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी की लचर कार्यप्रणाली से उन्हें भारी परेषानियों का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ काॅलेज में नियमित कक्षाएं नहीं लगने से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। छात्र-छात्राओं ने बताया कि उनके अधिकतर विषयों की नियमित कक्षाएं लगनी चाहिए, लेकिन काॅलेज में प्रोफेसरों की भारी कमी के चलते कक्षाओं में छात्र-छात्राएं सिर्फ गपषप करते दिखते हैं।
क्लास में प्रोफेसर का इंतजार करते रहे छात्र-छात्राएं
काॅलेज में नियमित कक्षाएं न लगने तथा काॅलेज में अध्ययनरत 14 हजार छात्र-छात्राओं के अनुपात के हिसाब से प्रोफेसरों की कमी का दावा उस समय सच साबित हो गया है, जब शुक्रवार को दोपहर 12.30 बजे के करीब बीए प्रथम वर्ष के 40 से अधिक छात्र-छात्राएं हिंदी के प्रोफेसर संजय बिसेन की राह देखते दिखे। छात्र-छात्राओं ने बताया कि उनकी हिंदी की क्लास पौने 12 बजे से थी, लेकिन 12.30 बजे तक कोई टीचर क्लास में नहीं आया।
यूनिवर्सिटी बनने से मिल सकती है राहतः प्राचार्य
शासकीय जटाषंकर त्रिवेदी महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. गोविंद सिरसाटे ने बताया कि ये सच है कि छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी बनने के बाद से छात्र-छात्राओं को कई तरह के दिक्कतें पेष आ रही है। यूनिवर्सिटी में स्टाफ की कमी बड़ा कारण है। मेरे द्वारा पूर्व में भी एबीवीपी तथा एनएसयूआई जैसे अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों से जिले में यूनिवर्सिटी खोले जाने के लिए प्रयास करने की बात कही थी। छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी को दोबारा जबलपुर यूनिवर्सिटी में सम्मिलित करने अथवा जिले में अन्य यूनिवर्सिटी बनाने के लिए अगर कैबिनेट में प्रस्ताव जाता है तो संभावना है कि जिले के हजारों छात्र-छात्राओं को बड़ी सौगात और राहत मिल सकेगी।
अतिरिक्त कार्यांे के चलते षिक्षक नहीं दे पाते समय
छात्र-छात्राओं ने बताया कि मप्र शासन द्वारा काॅलेज में समय-समय कई गतिविधियां तथा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें षिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जिसके कारण वे नियमित रूप से कक्षाएं नहीं ले पाते हैं। छात्र-छात्राओं ने कहा कि शासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए तथा ऐसे कार्यक्रमों या गतिविधियों के लिए काॅलेज में अलग स्टाफ नियुक्त करना चाहिए, जिससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित न हो।
परीक्षा परिणामों में हो रही गड़बड़ी
छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी बनने के बाद से बीएससी, बीए, बीकाॅम सहित अन्य विषयों के परीक्षा परिणामों में गड़बड़ी की षिकायत पिछले लंबे समय से देखने को मिल रही है। छात्र-छात्राओं ने बताया कि छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी द्वारा अक्सर अपने आधिकारिक वेबसाइट में रिजल्ट जारी करने के बाद परिणामों को देखने में तकनीकी दिक्कतें आती हैं। कई बार रिजल्ट में एक छात्र को उत्तीर्ण दिखाई जाता है तो अगले ही उसके कुछ विषयों में बैक लगने की जानकारी मिलती हैं। इसके अगले दिन उसी छात्र का परिणाम वेबसाइट पर नहीं दिखता।
रेगुलर क्लास नहीं लगतीः राहुल पटले
महाविद्यालय में नियमित रूप से कक्षाएं नहीं लग पा रही हैं। इसके पीछे बड़ी वजह छात्र-छात्राओं की संख्या की तुलना में यहां षिक्षकों की कमी है। इसके अलावा छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी की लेटलतीफी के कारण कई बच्चों को मास्टर डिग्री के लिए किसी काॅलेज में एडमिषन कराने के लिए फाइनल ईयर की मार्कषीट की जरूरत पड़ती है, लेकिन यूनिवर्सिटी द्वारा मार्कषीट उपलब्ध कराने में देरी के कारण वे या तो एडमिषन नहीं ले पाते या उन्हें मनपसंद विषय नहीं मिल पाता।
राहुल पटले, छात्र, एलएलबी प्रथम वर्ष
डेली क्लास से पढ़ाई की रूटीन बनेगीः धर्मंेद्र पारधी
मैं बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र हूं। मैथ्स के माइनर और मेजर विषयों की कक्षाएं लगती हैं, लेकिन अन्य विषयों की नियमित कक्षाएं नहीं लग रही हैं। अगर नियमित कक्षाएं लगे तो पढ़ाई की डेली रूटीन बनेगी। जहां तो जिले में विष्वविद्यालय बनने से हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य सुधरेगा।
धर्मंेद्र पारधी, छात्र, बीएससी द्वितीय वर्ष
समय की बर्बादी हो रही हैः शंकररत्न
छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली से छात्र-छात्राओं के समय की बर्बादी हो रही है। कई कक्षाओं या सेमेस्टर की परीक्षाएं छह महीने विलंब से हो रही है। इसके बाद मार्कषीट भी उतनी ही देरी से मिलती है। प्रैक्टिकल की कक्षाएं तो लगती ही नहीं। इससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
शंकररत्न, छात्र, तृतीय सेमेस्टर
यूनिवर्सिटी में स्टाफ बढ़ाने की जरूरत हैः डाॅ. गोंविद सिरसाटे
दरअसल, छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी में मेन पावर यानी स्टाफ की कमी है। यहां स्टाफ बढ़ाने की जरूरत है। यही वजह है कि यूनिवर्सिटी में परीक्षा आयोजन, परिणाम घोषित करने जैसी जरूरी प्रक्रियों में विलंब हो रहा है। अभी चुतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा 28 नवंबर को संपन्न हुई है जबकि यही परीक्षा करीब छह महीने पहले पूर्ण हो जानी चाहिए थी। अब इस परीक्षा का परिणाम कब आएगा, मार्कषीट कब आएगी, आगे की पढ़ाई के छात्र-छात्राएं कहां दाखिला लेंगे, यह यक्ष प्रष्न है।
डाॅ. गोविंद सिरसाटे, प्राचार्य, जटाषंकर त्रिवेदी महाविद्यालय