योजनाओं को तरसता बचपन,स्लम बस्तियों के लिए बनी योजना

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शासन द्वारा बचपन बचाने बाल मजदूरी खत्म करने और उनके भविष्य को संवारने के लिए ना जाने कागजों पर कितनी योजनाएं बनाई जाती है, लेकिन उसका हकीकत में कितना क्रियान्वयन किया जाता है वह शहर के बूढ़ी वार्ड स्थित ढीमरटोला में दिखाई देता है। जब शहर के भीतर हालात इतने अधिक खराब है दिया तले अंधेरा है तो फिर इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि अंतिम छोर पर बसे अंतिम पंक्ति में योजनाओं का इंतजार कर रहे बचपन को बचाने के लिए कितने कारगर प्रयास किए जा रहे हैं।

हालात जानने और हकीकत को करीब से समझने के लिए जब हम ढीमरटोला की इस स्लम बस्ती में पहुंचे और लोगों से चर्चा की तो उन्होंने शासन की योजनाओं का पूरा कच्चा चिट्ठा हमारे सामने खोल कर रख दिया।

लोगों ने बताया कि योजना जो भी हो वह सब उन तक पहुंचे उन्हें तो पता ही नहीं है किस स्लम बस्ती के बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कोई योजना भी चलती है जब हमने उनसे जानकारी चाहिए तो उन्होंने बताया यहां तो इस तरह कि ऐसा कोई कैंप या सुविधा नहीं मिल रही।जब स्वास्थ्य शिविर नहीं लगे तो बचपन शारीरिक रूप से कमजोर हो गया। यह आजकल की बात नहीं यहां पर लोग 20 सौ साल से निवास कर रहे हैं। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई स्वास्थ्य का शिविर लगा हूं बच्चों की मुफ्त में जांच की गई हो।स्थानी जनों द्वारा लगाए जा रहे इन आरोपों की पुष्टि वार्ड नंबर 1 से निर्वाचित होकर नगरपालिका पहुंचने वाले पूर्व पार्षद और पूर्व नगरपालिका के उपाध्यक्ष अनिल सोनी कर रहे हैं। वे खुले शब्दों में कहते हैं कि शासन की योजना का लाभ इन स्लम बस्तियों के लोगो को नही मिल रहा।वर्षों से समाजसेवा कर रही मानव अधिकार आयोग मित्र फिरोज खान बताती हैं कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कई कैंप लगाए गए हैं। हो सकता है कि शहर के ढीमर टोला सागौन वन स्लम एरिया में इनका आयोजन नहीं किया गया हो।आयोग मित्र तो यहां तक बताती है कि स्लाम एरिया के बच्चों के लिए शासन द्वारा बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही है। जिसमें शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार तक के लिए योजनाएं हैं। निश्चित ही यदि शहर के स्लम एरिया में इसका लाभ नहीं मिल रहा है तो कहीं ना कहीं कम्युनिकेशन गेप विभाग और लोगों के बीच में बना हुआ है जो दूर होना चाहियशहर के स्लम एरिया के हालात देखकर तो यही लगता है कि जब जिला मुख्यालय में शासन की योजनाओं की यह स्थिति है तो ग्रामीण क्षेत्रों में इन योजनाओं के क्या हालात होगे। यह आप अनुमान लगा सकते हैं? उम्मीद बस यही की जा रही है की जिम्मेदार जरूरतमंदों योजनाओं का लाभ दिलाएं।

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