राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के अंर्तगत शहर में कुछ सीएम संजीवनी क्लीनिक खोले गये है ताकि आसपास के लोगों को उनके घर के पास ही इलाज की सुविधा मिल सके. इसी तारतम्य में शहर के कुछ क्षेत्र में लाखों की लागत से सीएम संजीवनी क्लीनिक बनाए गए. जब हमारे द्वारा शहर के बूढी क्षेत्र स्थित आईटीआई के पास बने संजीवनी क्लिनिक की स्थिति देखी गई तो वहां के सपोर्ट स्टाफ द्वारा बताया गया कि कुछ दिनों से यहां क्लीनिक शुरू हो गए हैं और यहां डॉक्टर एवं नसों की भर्ती की गई है किंतु स्वास्थ्य विभाग के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी मनोज पांडे का कहना है कि अभी यहां डॉक्टरों की भर्ती नहीं हुई है जिसको लेकर अब यह समझ नही आ रहा की आखिर किसके द्वारा सही जानकारी दी जा रही है और किसके द्वारा गलत जानकारी दी जा रही है
आपको बता दे की शहर में चार स्थानों पर सीएम संजीवनी क्लीनिक बनाए गए हैं जिसमें स्वास्थ्य विभाग के आल्हा अधिकारी की माने तो उनके लिए स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की कमी होने के चलते बनाये गए कुछ संजीवनी क्लिनिको में डॉक्टरों की कमी है इसलिए वह क्लिनिको को अभी संचालित नहीं कर रहे है तो कुछ स्थानों पर यह क्लीनिक शुरू किए गए हैं तो वहां स्टाफ नहीं बैठ रहा है और सपोर्ट कर्मचारियों के भरोसे यह क्लीनिक चलाए जा रहे हैं कुल मिलाकर संजीवनी क्लीनिक के ताले सपोर्ट स्टाफ के बलबूते खुलते हैं और बंद हो जाते हैं. यहां मरीजों की नब्ज देखने के लिए कोई डॉक्टर नहीं है. एकाध जगह पैरामेडिकल स्टाफ कुछ दवाई देकर ओपीडी की औपचारिकता पूरी कर लेते हैं.
सपोर्ट स्टाफ के भरोसे संजीवनी क्लीनिक –
केन्द्रों में जो दवाइयां भेजी दी गई हैं वह रैक में रखी हुई हैं तो ओपीडी के नाम पर मरीजों का कहीं पता नहीं है. जब हमने बूढी स्थित आईटीआई के पास बने संजीवनी क्लीनिक में पहुंच कर देखा तो यहां पर सपोर्ट स्टाफ के द्वारा बताया गया कि यह संजीवनी क्लीनिक सुबह 9:00 बजे से शुरू होते है और शाम 5:00 बजे बंद कर दिया जाता है और यहां 7 डॉक्टर सहित स्टाफ नर्सो की भर्ती की गई है किंतु इस समय कुछ लोग फील्ड में तो कुछ लोग खाना खाने गए हैं इस प्रकार की जानकारी उनके द्वारा दी गई जबकि देखा जाए तो चिकित्सक स्टाफ में से सातों चिकित्सक स्टाफ एक साथ फील्ड पर जाना या फिर खाना खाने जाना और क्लीनिक में एक भी डॉक्टर या नर्स नहीं रहना इसको देखकर यही लग रहा था कि वह सही जानकारी नहीं दे रहे हैं जिसे देखकर यही लग रहा है कि सपोर्ट स्टाफ के भरोसे संजीवनी क्लीनिक खोले और बंद किये जा रहे हैं
इन्हे होना चाहिए क्लीनिक में –
बताया जाता है कि संजीवनी क्लीनिक में एनएम, पैथालॉजिस्ट, डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ की पोस्टिंग की गयी है वही कुछ केन्द्रों में भर्ती की गई लेकिन ड्यूटी केवल ऑपरेटर और सपोर्ट स्टाफ को मिली. इन पर विभाग लाखों रुपए का वेतन हर महीने खर्च कर रहा है लेकिन मरीजों को दवाइयां कौन देगा .. उनको जांच कौन लिखेगा.. प्रसव से पहले क्या सावधानियां रखनी हैं यह बताने के लिए कोई स्टाफ नहीं दिया गया. ऐसे में संजीवनी क्लीनिक के नाम पर यह धोखा कौन कर रहा है ? क्या राज्य सरकार ने केवल वाहवाही के लिए इस प्रकार की व्यवस्था बनाई है.
डॉक्टर और अन्य स्टाफ की पोस्टिंग नहीं हो पाई है – मनोज पांडे
संजीवनी क्लीनिक के संचालन को लेकर जब हमने सीएमएचओ मनोज पांडे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि केन्द्रों का संपूर्ण संचालन नहीं हो पा रहा है. चूंकि अभी तक डॉक्टर और अन्य स्टाफ की पोस्टिंग नहीं हो पाई.है अब हम तैयारी कर रहे हैं कि यहां अल्टरनेट डे पर डॉक्टरों को बिठाकर शुरुआत की जाए. जैसे ही नियमित पोस्टिंग होगी वैसे ही सुचारु रूप से संचालन करेंगे.