अस्थिरता के बीच लीबिया में पुन: आतंकवादी क्रियाकलापों की आहट ने दुनिया को फिर चिंता में डाल दिया है। इसको लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चिंता जताई है। लीबिया पर यूएनएससी में एक ब्रीफिंग में संयुक्त राष्ट्र में भारत की ओर से स्थायी मिशन के राजदूत आर रवींद्र ने कहा कि हम लीबिया में आतंकवादी गतिविधि के फिर से शुरू होने पर चिंतित हैं। लीबिया में बिना किसी चुनौती के काम करने के लिए आतंकवादी समूहों और उससे संबंधित संस्थाओं को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। एएनआई के मुताबिक आर रवींद्र ने उस प्रोग्रेस का स्वागत किया है जो पिछले महीने 28-29 जून, 2022 के अंत में जिनेवा में प्रतिनिधि सभा और राज्य की उच्च परिषद के अध्यक्षों की बैठक में हुई थी। भारतीय राजदूत ने कहा कि लीबिया के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि सभी शेष राजनीतिक मुद्दों को संबंधित पक्षों द्वारा शांतिपूर्वक हल किया जाए।
लीबिया में राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव को जल्द से जल्द कराने के महत्व पर जोड़ देते हुए उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सभी दल लीबिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगे। लीबिया के लिए एक तत्काल प्राथमिकता स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय तरीके से जल्द से जल्द राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव कराना है। उन्होंने आगे कहा कि हम चुनाव कराने के लिए संवैधानिक आधार पर लीबिया की पार्टियों के बीच शीघ्र सहमति की उम्मीद करते हैं। लीबिया 2011 से हिंसा और अशांति झेल रहा है। जब से शासन में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएसएमआईएलस) के नेतृत्व का पतन हुआ है,यह स्थिति बनी हुई है।
2011 में लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी के शासन के पतन के बाद से लीबिया लगातार हिंसा और अशांति का सामना कर रहा है। वर्तमान में देश एक सरकार के बीच विभाजित है जिसे मार्च में प्रतिनिधि सभा द्वारा नियुक्त किया गया था और त्रिपोली स्थित राष्ट्रीय एकता सरकार जो एक चुनी हुई सरकार को छोड़कर कार्यालय सौंपने से इनकार करता है। लीबिया के दलों के बीच चुनाव कानूनों पर असहमति के कारण, पहले से निर्धारित आम चुनाव दिसंबर 2021 में कराने में विफल रहा था।