विशेषज्ञ बोले- शिंजो आबे ने जापान-भारत रिश्तों को प्रगाड़ करने में निभाया था अहम रोल

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भारत पर जापान के जानकार विशेषज्ञ शिंजो आबे के कार्यकाल की सराहना करते कहा कि भारत के साथ जापान के कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने को हमेशा ‘शीर्ष प्राथमिकता’ दी और दिवंगत प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने जैसे कई ऐतिहासिक फैसले लिए तथा नई दिल्ली को क्वाड समूह में शामिल होने के लिए राजी किया। आबे को जापान के नारा में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान आठ जुलाई को गोली मार दी गयी थी जिससे उनकी मृत्यु हो गयी। वह 67 वर्ष के थे।
टोक्यो में ‘इंटरनेशनल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी’ के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर और भारत में घटनाक्रम पर नजर रखने वाले मसनोरी कोंदो ने यहां कहा कि आबे ने किसी भी समूह में शामिल होने से परहेज रखने वाले भारत को चार देशों के समूह क्वाड में शामिल करने के लिए राजी कर लिया था। क्वाड में अमेरिका, भाजपा, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसे सामरिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे के जवाब में बनाया गया है।
कोंदो ने 2007 में आबे की भारत की पहली यात्रा तथा भारतीय संसद में दिए उनके भाषण को याद किया। आबे ने कहा था, ‘भारत के साथ संबंध मजबूत करना जापान के राष्ट्रीय हित के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’ आबे जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। कोंदो ने कहा कि आबे की दूरदृष्टि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चीन के उदय से बहुत पहले ही भारत को हमेशा ‘शीर्ष प्राथमिकता’ दी। उन्होंने कहा कि आबे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तब से ही अच्छे संबंध रहे थे जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा, ‘आज, जापानी भारत में बड़े निवेशकों में ही शामिल नहीं हैं बल्कि वे और कारोबारी अवसरों की करीबी निगरानी कर रहे हैं तथा कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।’

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