(उमेश बागरेचा)
बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। सोशल मीडिया में एक बार फिर प्रदेश में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षको के स्थानांतरण की बात चल पड़ी है। कहा जा रहा है कि एक दर्जन कलेक्टर तथा दो दर्जन पुलिस अधीक्षकों के तबादलों की लिस्ट 28 अगस्त के पूर्व आ सकती है। स्थानांतरण की यह बात कोई पहली बार नहीं हो रही है इसके पूर्व भी अनेक बार यह बातें होती रही है, खासकर बालाघाट के कलेक्टर दीपक आर्य को लेकर अनेक बार हवा में स्थानांतरण की बातें आती रही है, कुछ माह पूर्व तो बकायदा उनके स्थान पर आने वाले कलेक्टर का नाम भी सोशल मीडिया में उछाल दिया गया था जो कि सच्चाई से कोसों दूर था। खैर, चूंकि बालाघाट के कलेक्टर दीपक आर्य एवं पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी को जिले में पदस्थापना के लगभग 3 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं, तो स्थानांतरण तो होना ही है, और संभावना भी यही है कि शीघ्र ही जो भी वृहद सूची जारी होगी उसमें श्री आर्य एवं तिवारी के नाम शामिल रहेंगे। पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी के लिए तो बालाघाट की पदस्थापना संयोगवश स्वर्णिम ही कही जाएगी क्योंकि पिछले कई सालों से लगभग शून्य रही नक्सली गतिविधियां उनकी पदस्थापना के पश्चात एकाएक बढ़ी, जिसमें नतीजतन समय-समय पर अनेक नक्सली पुलिस मुठभेड़ हुई, जिसमें नक्सली मारे भी गए, कुछ पकड़ाए और कुछ ने सरेंडर भी किया। यह अलग बात है कि कुछेक नक्सली मुठभेड़ को लेकर सवाल भी खड़े हुए, जैसे एक मुठभेड़ में आदिवासी झामसिंह धुर्वे को कथित नक्सली के रूप में मारा जाना बताया जाना, बाद में ज्ञात होता है कि वह नक्सली नहीं था एक आम आदिवासी नागरिक था जिसकी पुलिस गोली से मृत्यु हुई और बाद में सरकार को उस परिवार के बेटे को फॉरेस्ट विभाग में संविदा नौकरी देना पड़ा। तो नक्सली मूवमेंट के चलते पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी को प्रशंसा मिली। इसी तरह 20 करोड़ का मनी लांड्रिंग का मामला उजागर कर उछाला गया जिसमें प्रदेश के ग्रहमंत्री ने भी बकायदा उन्हें मीडिया के समक्ष भोपाल से शाबाशी दी। यह अलग बात है कि यह 20 करोड़ का आंकड़ा कैसे बना इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ। इसी तरह गत 1 माह पूर्व गड़ी (मलाजखंड) थाना अंतर्गत ग्राम मुरेन्डा के एक आदिवासी हँसलाल बैगा के घर 5 करोड़ की राशि रखी होना और उसके लिए डकैती की योजना बना रहे तथाकथित नौ डकैतों के खिलाफ कार्यवाही की गई। अब इसमें भी किसी के गले यह नहीं उतर पा रहा है कि एक आदिवासी बैगा के पास 5 करोड़ की राशि कहां से आई और ना ही आज तक इस बात की पुष्टि भी हो पाई है कि उक्त करोड़ों की राशि क्या बैगा के पास थी, या फिर कहावत के अनुसार कौए ने कान ले गया और पुलिस कान को ढूंढने भाग पड़ी। इस तरह पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी के खाते में कई बड़े-बड़े मामले उजागर होने तथा नक्सली संबंधी कार्यवाहिया जुड़ती गई और बेहतर छवि बनती गई, जिसके परिणाम स्वरुप आगामी 15 अगस्त 2022 को उन्हें राष्ट्रपति के हाथों विशिष्ट एवं सराहनीय सेवा पदक मिलने जा रहा है। बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि जिले के कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक में बेहतर तालमेल हो, प्राय: होता भी है और बालाघाट में वर्तमान में देखा भी जा रहा है कि कलेक्टर दीपक आर्य के साथ पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी परछाई की तरह साथ में दिखाई देते रहे हैं, जिसकी चर्चा आम भी है। कलेक्टर दीपक आर्य को श्री तिवारी का बहुत ही अच्छा साथ रहा है। पूर्व में तो तिकड़ी साथ चलती थी। अर्थात कलेक्टर श्री आर्य एसपी श्री तिवारी एवं जिला पंचायत की तत्कालीन सीइओ रजनी सिंह। तीनों हमेशा प्रशासनिक कार्य में साथ ही दिखाई देते थे, किंतु श्रीमती सिंह के स्थानांतरण के बाद यह तिकड़ी बनी नहीं रह पाई। कलेक्टर दीपक आर्य का कार्यकाल पूरे समय विशेष चर्चा में रहा है। 2019 में चुनाव के पश्चात कांग्रेस शासन में कलेक्टर के रूप में पदस्थ श्री आर्य को लेकर जब तक कांग्रेस का शासन रहा भाजपा के जनप्रति निधियों की उपेक्षा का आरोप लगता रहा। बकायदा पूर्व मंत्री एवं विधायक गौरीशंकर बिसेन ने सार्वजनिक रूप से श्री आर्य को आड़े हाथ लिया था, जैसे ही कांग्रेस की सरकार गिरी और भाजपा शासन आया तो संपूर्ण जिले में आम चर्चा थी कि अब गौरी भाउ कलेक्टर श्री आर्य को बालाघाट में नहीं रहने देंगे और उनका स्थानांतरण हो जाएगा, किंतु ऐसा नहीं हुआ जैसा कि होता है कहावत है जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली बात चरितार्थ हो गई। अब शिकायत कांग्रेसी खेमे को ही नहीं बल्कि निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को भी है, और चर्चा भी रही है कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों से सब ठीक-ठाक हो गया है और अब वे जब तक चाहेंगे तब तक श्री आर्य बालाघाट के कलेक्टर बने रहेंगे।