सवा लाख किसान समर्थन मूल्य पर नही बेच पाएंगे धान ?

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किसानों को उनकी फसल का वाजिब दिलाने और उन्हें बिचौलियों से बचाने के लिए शासन द्वारा प्रतिवर्ष किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी उनके निकटतम केंद्र में की जाती है ।ताकि निकटतम केंद्र में किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य पर बेचकर समय पर उसका वाजिब दाम पा सके। लेकिन इस वर्ष जिले की किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित हो सकते हैं क्योंकि
खरीफ सीजन की फसल उर्पाजन के लिए पंजीयन की प्रक्रिया को 13 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक जिले के सिर्फ 101 किसानों का ही पंजीयन हो सका है। जबकि एक लाख से ज्यादा किसान पंजीयन नहीं करा पाए हैं। कल यानी पांच अक्टूबर पंजीयन की अंतिम तिथि है, यानी इसके लिए सिर्फ किसानों के पास दो दिन का समय बचा है, लेकिन विभाग की आधी-अधूरी तैयारी तथा पटवारी व सहकारी समितियों की हड़ताल पंजीयन प्रक्रिया पर बुरा असर डाल रही है। वही पंजीयन की तारीख बढ़ाने के भी कोई आदेश मध्य प्रदेश शासन द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में इन दो दिनों के भीतर एक लाख से अधिक किसानों का पंजीयन संभव ही नहीं है क्योंकि अब तक पटवाररियो द्वारा गिरदावरी का कार्य पूर्ण नहीं किया गया है। जहां गिरदावरी का कार्य पूर्ण होने के बाद ही किसानों का पंजीयन समिति के माध्यम से किया जाएगा। ऐसे में अब किसानों के पंजीयन को लेकर पेच फस गया है । किसानों के पंजीयन की तारीख बढ़ाने की घोषणा या आदेश प्रदेश शासन द्वारा अब तक जारी नहीं किए गए हैं। यदि दो दिनों के भीतर किसानों का पंजीयन नहीं हुआ तो एक लाख से अधिक किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित हो जाएंगे

376 पटवारी दो दिनों के भीतर कैसे पूरा करेंगे गीदावरी का कार्य ?
आपको बताएं कि शाशन द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों की धान खरीदने के लिए, जिले में 20 सितंबर से पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जिसमें 20 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक किसानों का पंजीयन करने को कहा गया है।वही उपार्जन के लिए 200 से ज्यादा केंद्र भी चिन्हित किए गए हैं, लेकिन एक महीने तक चली पटवारियों की हड़ताल के कारण ‘गिरदावरी सत्यापन’ (किसान ने कितने रकबे में कौन-सी फसल बोई गई है, इसका सत्यापन करना गिरदावरी कहलाता है) नहीं हो सकी है। यह जानकारी पटवारी द्वारा शासन के दस्तावेज में दर्ज कराई जाती है। भले ही गत शुक्रवार को पटवारियों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली हो, लेकिन जिले के 376 पटवारियों का आगामी दो दिन में एक लाख से ज्यादा किसानों का गिरदावरी सत्यापन करना असंभव है। और यदि ऐसा होता है तो किसानों का पंजीयन नहीं हो पाएगा और एक लाख से अधिक की संख्या में किसान समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने से वंचित हो जाएंगे

सहकारी समितियां की हड़ताल भी बनी अड़ंगा
वहीं, दूसरी तरफ 126 सहकारी समितियों के कर्मचारियों की जारी हड़ताल भी पंजीयन प्रक्रिया पर असर डाल रही है। क्योंकि पटवारी ने अपनी हड़ताल खत्म कर गिदावरी का कार्य करना शुरू कर दिया है गिदावरी का यह कार्य कंप्लीट करने के बाद पटवारी द्वारा यह आकलन किया जाएगा कि किस किस के खेत में कितनी धान लगी है और वह कितनी धान शासन को समर्थन मूल्य पर बेच सकता है। जिनके सत्यापन के बाद ही समितियां द्वारा किसानों का पंजीयन किया जाएगा लेकिन अब समिति वाले दूसरे बार हर साल पर बैठ गए हैं जिन्होंने मांग पूरी न होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी है। वहीं किसानों के पंजीयन की तारीख बढ़ाने की घोषणा भी अब तक नहीं हो पाई है ऐसे में किसानों का पंजीयन नामुमकिन लग रहा है और यदि किसानों का पंजीयन नहीं हुआ तो वह समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित हो जाएंगे।

सवा लाख किसानों के पंजीयन अटके
आपको बताएं कि पटवारी ने वर्षों से लंबित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 21 अगस्त से ही कार्य का बहिष्कार कर दिया था। वही 28 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी थी जो 29 सितंबर तक चली , 1 महीने से अधिक चली इस हड़ताल से पटवारियों को कुछ हासिल नहीं हुआ। इसके उलट शासन को कराेड़ों का राजस्व नुकसान झेलना पड़ा, तो वहीं किसान व प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लाेगों को परेशानी उठानी पड़ी। बेनतीजा रही उनकी हड़ताल अब सवा लाख किसानों के पंजीयन को अटका रही है। ताज्जुब की बात है कि अगस्त माह में जिले में हुई अतिवर्षा से फसल नुकसान का सर्वे भी अब तक पूरा नहीं हो सका है। प्रशासन राजस्व निरीक्षक व ग्राम सचिवों के जरिए नुकसान का आंकलन करा रहा है, लेकिन ये प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। वहीं हड़ताल के चलते गीदावरी का कार्य पूर्ण नहीं हो सका और सवा लाख से अधिक किसानों के पंजीयन अटक गए।

उधर डेढ़ महीने में दो बार समिति की हड़ताल
पटवारी के साथ-साथ समितियो की हड़ताल ने भी किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है। तो वहीं अब दोबारा समितियो के हड़ताल के चलते भी पंजीयन का कार्य अटक गया है। आपको बताएं कि जिले की 126 सहकारी समितियों (पैक्स) के 1100 कर्मचारी पिछले डेढ़ महीने के अंतराल में दो बार हड़ताल पर जा चुके हैं। समिति के लिपिक, लेखापाल, सहायक प्रबंधक लंबे समय से वेतन विसंगती दूर करने सहित अन्य मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि धान उर्पाजन के लिए होने वाली पंजीयन प्रक्रिया में समिति कर्मियों की भूमिका आंशिक होती है, लेकिन लंबे समय से चल रही हड़ताल के चलते समितियों के अन्य कार्याें पर विपरित असर पड़ रहा है। ऐसे में यदि के नामुमकिन कार्य को पटवारी दो दिनों के भीतर पूरा भी कर लेते हैं तो भी समितियो की हड़ताल के चलते किसानों का पंजीयन नहीं हो पाएगा। वहीं पंजीयन की तारीख ना बढ़ने पर सवा लाख से अधिक किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित हो जाएंगे।

तिथि बढ़ना तय, लेकिन अब तक नहीं आया आदेश
एक लाख से ज्यादा किसानों के पंजीयन अटकने के बाद ये तय है कि पंजीयन की तारीख आगे बढ़ेगी, लेकिन विभागीय जानकारी के अनुसार, इस संबंध में मंगलवार तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। बताया गया कि पटवारियों की हड़ताल से पूर्व 12 हजार हेक्टेयर के लगभग 100 किसानों के गिरदावरी सत्यापन हुए थे, जिसके कारण उनके पंजीयन हुए हैं, लेकिन इस बार जिले के एक लाख 15 हजार से ज्यादा किसानों के पंजीयन अब तक भी अटके पड़े, जबकि इसके लिए दो दिन का समय ही बचा है। यदि आदेश नहीं आए तो इन हड़ताल का सबसे ज्यादा असर किसानों को पड़ेगा। वही पंजीयन ना होने का फायदा बिचौलिए उठाएंगे।

एक नजर में ,,,
किसानों के पंजीयन की आखिरी तारीख कल
पंजीयन की तारीख बढ़ाने के नहीं आए कोई आदेश
हड़ताल के चलते अटका किसानों के पंजीयन का कार्य

  • पिछले साल 1 लाख 14 हजार 805 किसानों ने पंजीयन कराया था
  • इसमें से 1 लाख एक हजार 737 किसानों ने बेची थी समर्थन मूल्य पर धान
  • पिछले साल 54 लाख 28 हजार 283 क्विंटल धान का शाशन ने किया था उपार्जन
  • इस साल पिछली बार से अधिक किसानों के पंजीयन की संभावना
    पंजीयन तारीख नहीं बढ़ी तो सवा लाख से अधिक किसान होंगे वंचित

हड़ताल के चलते नहीं हो सका पंजीयन- ज्योति बघेल
इस पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान जिला आपूर्ति अधिकारी ज्योति बघेल ने बताया कि पटवारियों की हड़ताल के चलते गिरदावरी सत्यापन का कार्य नहीं हो सका है। पूर्व में हुए सत्यापन के आधार पर कुछ ही किसानों के पंजीयन हो सके हैं। फिलहाल पंजीयन की तारीख बढ़ाने को लेकर कोई आदेश नहीं आए हैं लेकिन हमें उम्मीद है कि पंजीयन के लिए तिथि आगे बढ़ाई जाएगी। और जल्द से जल्द सभी किसानों का पंजीयन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।

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