सी.आई.डी. से नही सी.बी.आई. से कराई जाये जाँच, ग्रामीण झामसिंह धुर्वे की मौत के मामले में आदिवासी समुदाय के पदाधिकारियों ने की मांग

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बालाघाट (पद्मेश न्यूज़)। 6 सितंबर को कथित नक्सली पुलिस मुठभेड़ के दौरान मारे गए छत्तीसगढ़ के निवासी झामसिंह धुर्वे हत्या मामले में मध्यप्रदेश शासन ने सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं जिस पर आदिवासी समाज संतुष्ट दिखाई नहीं दे रहा है। सीआईडी जांच के आदेश होने पर भी समाज के पदाधिकारियों ने किसी प्रकार की खुशी नहीं है बल्कि इससे निराश दिखाई दे रहे हैं समाज के प्राय पदाधिकारियों का मानना है कि सीआईडी में पुलिस के ही लोग होते हैं पुलिस के अधिकारी इस मामले की जांच करेंगे तो विश्वसनीयता कैसे रहेगी, क्योंकि इस मामले में आरोप पुलिस पर ही लग रहे हैं। इस मामले की जांच सीबीआई से अथवा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के माध्यम से उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराया जाना चाहिए। यह भी बताएं कि आदिवासी समाज ने इस मामले को जिस प्रकार से उठाया है और घटना से संबंधित जानकारियां जनता के सामने प्रस्तुत किया है यही कारण है कि यह मामला मध्य प्रदेश सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के पास पहुंच गया है और यह मामला काफी चर्चा में है।

सीआईडी जांच के सख्त विरोध में है – हीरासन उईके

अनुसूचित जनजाति विभाग के सदस्य और गोंडवाना महासभा महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती हीरासन उईके ने मध्यप्रदेश शासन पर आरोप लगाया है कि पुलिस की जांच पुलिस कैसे करेगी इस जांच का परिणाम क्या होगा वह अभी से दिखाई दे रहा है। हम इस जांच के सख्त विरोध में हैं सीआईडी अपराध शाखा जांच होती है इस मामले को पुलिस विभाग के लोग ही जांच करेंगे तो हम को शंका रहेगी। अपराध शाखा की जांच बहुत बड़ी जांच नहीं होती है विभाग के लोग इस मामले में लीपापोती कर देंगे, उच्च स्तरीय न्यायिक जांच जिसमें हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज भी अगर जांच करते हैं तो हम संतुष्ट रहेंगे। पीडि़त परिवार को आर्थिक सहयोग देना और एक नौकरी देना यह क्षतिपूर्ति नहीं है यह काम तो पुलिस करता रहेगा। इस मामले में जो दोषी है उसको सजा मिलना चाहिए प्रदेश के मुख्यमंत्री महामहिम राज्यपाल और मानव अधिकार आयोग को इसकी शिकायत कर दी गई है।
सीबीआई जांच की मांग को आखिर क्यों नहीं मान रही सरकार – दिनेश धुर्वे
आदिवासी विकास परिषद के उपाध्यक्ष दिनेश धुर्वे ने बताया कि आदिवासी समाज ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए सीआईडी जांच की नहीं सीबीआई जांच की मांग की थी लेकिन यह समझ नहीं आ रहा आखिरकार मध्यप्रदेश शासन आदिवासियों की इस मांग को क्यों नहीं मान रही। सीआईडी जांच में पुलिस विभाग शामिल रहेगा इसलिए विश्वसनीय तरीके से काम नहीं हो पाएगा, मजिस्ट्रियल जांच कई मामलों में हो चुकी है लेकिन उनका आज तक निष्कर्ष नहीं मिला। हम यही चाहते हैं धरातल पर मामले की वास्तविकता सामने आना चाहिए।
आदिवासी समाज सीबीआई जांच की मांग पर अड़ा है – कोर्राम
आदिवासी विकास परिषद के जिला अध्यक्ष भुवन सिंह कोर्राम ने जांच के शुरू होने से पहले ही उसका नतीजा बता दिया और कह दिया कि इस जांच में कुछ निकलने वाला नही है। क्योंकि एक पुलिस अधिकारी कभी भी दूसरे पुलिस अधिकारी की जांच में उसे दोषी नहीं बता सकता। आदिवासी समाज सीआईडी जांच से संतुष्ट नहीं होगा, पूर्व की घटनाओं की जांच के साथ ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग किए हैं। सीआईडी जांच होती है तो यह पुलिस महकमें की ही जांच है, इस पर इतना भरोसा नहीं है समाज अपनी मांग पर अड़ा है सीबीआई जांच हो या उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो।
डीएसपी सहित कुछ अधिकारी जांच टीम में शामिल
जानकारियां मिल रही है कि बालाघाट में पदस्थ रह चुके एक डीएसपी सहित कुछ अधिकारी इस जांच टीम में शामिल है। यह बाद का विषय है कि इस जांच में आखिरकार निकलता क्या है लेकिन आदिवासी समाज द्वारा पूर्व से उठाई जा रही मांग पर मध्यप्रदेश शासन ने कितना ध्यान दिया कितनी तवज्जो दी यह सीआईडी जांच के आदेश से पता चल रहा है।
आदिवासी समाज उतरा था सड़कों पर
2 दिन पूर्व आदिवासी समाज बालाघाट की सड़कों पर उतरा और विरोध प्रदर्शन किया, झामसिंह को न्याय मिले उसके हत्यारों को सजा मिले। यही नहीं कुछ आदिवासी नेताओं ने तो यहां तक मांग की है की अब तक बालाघाट में हुए सभी आदिवासियों के हत्याकांड मामले में जांच हो जिससे पता चले कि वह नक्सली नहीं थे।
समाज के लोग उठा रहे सवाल

यदि झामसिंह हत्याकांड मामले में यह खुलासा हुआ कि वह पुलिस की गोली से मारा गया था तो आदिवासी समाज के लोग सभी मामलों की जांच करवाएंगे। तो क्या पुलिस सीआईडी के माध्यम से सही जांच करवा पाएगी यही सवाल अब आदिवासी समाज के लोग उठा रहे हैं।

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