शहर के सबसे पुराने सरकारी अस्पताल हमीदिया में अब ब्रेन ट्र्यूमर की सर्जरी आसान तरीके से हो सकेगी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस काम के लिए एक करोड़ 90 लाख रुपये से विशेष सर्जिकल माइक्रोस्क्रोप खरीदा गया है। एम्स को छोड़ दें तो प्रदेश के किसी भी सरकारी मेडिकल कालेज में इतना उन्नत माइक्रोस्कोप नहीं है। सबसे बड़ी बात यह कि इसमें इंफ्रारेड एंजियोग्राफी की सुविधा भी आगे चलकर शुरू की जाएगी। इस तकनीक में ट्यूमर वाला हिस्सा रंगीन दिखने लगता है, जिससे चिकित्सकों को सर्जरी करना आसान हो जाता है। ब्रेन ट्यूमर में सिर्फ उसी हिस्से को निकाला जाता है, जो रंगीन होता है। यानी वह हिस्सा सर्जरी से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता, जहां ट्यूमर नहीं है। दूसरा फायदा यह है कि ट्यूमर पूरी तरह से निकालना संभव होता है। यह सुविधा नहीं होने पर डाक्टर इस बात से डरते रहते हैं कि सर्जरी में वह हिस्सा भी प्रभावित न हो जाए, जहां ट्यूमर नहीं है। ऐसे में कई बार ट्यूमर का कुछ हिस्सा छोड़ देना ही चिकित्सक उचित समझते हैं।हमीदिया अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में प्राध्यापक डा. एके चौरसिया ने बताया कि इंफ्रारेड एंजियोग्राफी के लिए माइक्रोस्कोप में करीब 40 लाख स्र्पये से अलग से एक साफ्टवेयर लगाया जाएगा।हमीदिया अस्पताल में इस माइक्रोस्कोप से अब तक पांच सर्जरी भी हो चुकी हैं। एन्युरिज्म यानी नसों के जोड़ के पतला होने पर उनके फटने का डर रहता है। यह सर्जरी भी इस माइक्रोस्कोप से आसान हो गई है। तीसरा फायदा यह है ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी में माइक्रोस्कोप से ब्रेन की सभी तंत्रिकाएं और नसें बड़ी-बड़ी दिखती हैं, जिससे सर्जरी आसान हो जाता है। साथ ही सर्जरी करने से दूसरों अंगों में लकवा होने का खतरा भी कम रहता है।कई बार न्यूरो सर्जन अवेक सर्जरी करते हैं। इसमें मरीज से बातचीत करते हुए सर्जरी की जाती है। इसका उद्देश्य यह रहता है कि मरीज के दूसरों अहम अंग जैसे नाक, कान, हाथ, पैर जीभ आद को नियंत्रित करने वाले हिस्से की सर्जरी की कोशिश की जाती है तो इन अंगो के प्रभावित होने पर उसे रोक दिया जाता है। न्यूरो सर्जरी विभाग में अभी चार न्यूरो सर्जन हैं। इसे अलग से विभाग बनाने का प्रस्ताव है। ऐसा होने पर यहां अलग से सुविधाएं बढ़ने के साथ ही डाक्टरों की संख्या बढ़ जाएगी। साथ ही सुपर स्पेशियलिटी कोर्स भी शुरू हो सकेगा।