मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका के जरिये शहपुरा भिटौनी नगर परिषद की मतदाता सूची में गड़बड़ी को कठघरे में रखा गया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस सिलसिले में राज्य निर्वाचन आयोग, कलेक्टर जबलपुर व तहसीलदार शहपुरा को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। मामले की अगली सुनवाई आठ मार्च को निर्धारित की गई है।
शहपुरा भिटौनी निवासी राजेश सिंह राजपूत की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि शहपुरा-भिटौनी नगर परिषद के लिए तैयार की गई मतदाता सूची में बड़े पैमाने में गड़बडी की गई है। याचिका में कहा गया है कि जिस मकान में दो रहते है, उस मकान पर 60 मतदाताओं के नाम दर्ज पाए गए। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2011 में शहपुरा नगर परिषद में 9900 मतदाता थे, जो अब 14 हजार हो गए है। अधिवक्ता श्रेयस धर्माधिकारी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने इस मामले की शिकायत तहसीलदार और कलेक्टर से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रांरभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
भवन निर्माण के लिए किया स्वतंत्र : न्यायालय अपर कलेक्टर (रांझी) ने डिफेंस भूमि से 10 मीटर की दूरी पर निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता को नकारते हुए संबंधित नगरीय निकाय से अनुमति प्राप्त कर भवन निर्माण के लिए स्वतंत्र कर दिया है। मामला डुमना रोड अंतर्गत ग्राम महगवां में भवन निर्माण पर कॉलेज ऑफ मटेरिल्स मैनेजमेंट (सीएमएम) द्वारा डिफेंस लैंड पर सुरक्षा का हवाला देते हुए मौखिक तौर पर लगाई गई रोक को चुनौती से संबंधित था। आवेदक रांझी टेमरभीटा डुमना तिराहा निवासी स्वप्निल ठाकुर पुत्र बद्री प्रसाद ठाकुर की ओर से अधिवक्ता विनोद सिसोदिया ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आवेदक का परिवार आठ दशक से जिस भूमि पर निवास कर रहा है, उस पर निर्माण से कैसे रोका जा सकता है? पुश्तैनी मकान से लगी जमीन पर मकान का जीर्णोद्धार करना आवेदक का हक है। लिहाजा, सीएमएम के मौखिक आदेश को निरस्त किया जाना अपेक्षित है। इस सिलसिले में हाई कोर्ट के न्यायदृष्टांत उल्लेखनीय हैं। न्यायालय अपर कलेक्टर (रांझी) ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद आवेदक के हक में राहतकारी आदेश पारित कर दिया।