न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने जिस प्रकार टी-20 लीग में खेलने के लिए केन्द्रीय अनुबंध को ठुकरा दिया है। उससे यह बात सामने आने लगी है कि अब क्रिकेट भी फुटबॉल की तर्ज पर आगे बढ़ने लगा है जहां लीग मुकाबले अहम होते हैं और विश्वकप जैसे बड़े टूर्नामेंटों के दौरान ही खिलाड़ी देश की ओर से खेलते हैं। खेल में टी-20 क्रिकेट आने से आज सभी देशों में अलग-अलग लीग हो गयी हैं। इसका असर से हुआ है कि पैसे के कारण वेस्टइंडीज , जिम्बाब्वे जैसी टीमों के खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम की जगह लीग मुकाबलों में खेलने को वरीयता देने लगे हैं। यहां तक कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के बिग बैश छोड़कर यूएई लीग जाने की आशंका है। बोल्ट टी20 लीग में खेलने के अपने फैसले के पीछे कारण ये बताया है कि वह अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं, साथ ही घरेलू लीग में भी भाग लेना चाहते हैं। यानी वेस्टइंडीज़ के कई खिलाड़ियों की तरह वह भी अलग-अलग देशों में जाकर टी-20 लीग खेलना चाहते हैं। बोल्ट के केन्द्रीय अनुबंध से अलग होने का मतलब यह नहीं है कि वह अब न्यूजीलैंड के लिए क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे। बस इतना होगा कि जो तय सालाना फीस उनको मिलती थी, वह अब नहीं मिलेगी , उन्हें मैच के हिसाब से रकम मिलेगी। वहीं ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेदबाज़ जेसेन गिलेस्पी ने इस फैसले पर कहा कि क्रिकेट अब बदल रहा है, बड़ा तबका अभी भी अपने देश के लिए खेलना चाहता है पर अब रुख बदल रहा है। वहीं कई दिग्गज खिलाड़ियों का मानना है कि टी20 लीग और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बीच समन्वय बनाना होगा।