टोक्यो ओलिंपिक में जिस इवेंट्स पर सबसे ज्यादा नजरें होंगी, उनमें बॉक्सिंग भी शामिल है। इस गेम में न सिर्फ मुक्केबाजों की ताकत, बल्कि उनकी चपलता, तत्काल निर्णय लेने की क्षमता, डिफेंसिव स्किल्स और स्टेमिना का भी इम्तिहान होता है। 1896 से अब तक 28 बार ओलिंपिक गेम्स का आयोजन हुआ। इनमें 1896, 1900 और 1912 को छोड़कर 25 बार बॉक्सिंग इस मेगा स्पोर्ट्स इवेंट का हिस्सा रही है। 1912 स्टॉकहोम ओलिंपिक में बॉक्सिंग को इसलिए शामिल नहीं किया गया था, क्योंकि तब स्वीडन की सरकार ने इस खेल को बैन कर दिया था।
बतौर खेल बॉक्सिंग के साक्ष्य करीब 5 हजार पुरानी चित्रकारी से भी मिलते हैं। ईसा पूर्व 3 हजार साल पहले इराक में इसके आयोजित होने के सबूत हैं। इसके अलावा वेद, महाभारत, रामायण आदि में भी अलग-अलग रूपों में इसका जिक्र है। 688 ईसा पूर्व (23वें ओलिंपियाड में) इसे पहली बार प्राचीन ओलिंपिक में भी शामिल किया गया था। तब बॉक्सिंग में कोई राउंड नहीं होते थे और मुकाबला तब समाप्त होता था, जब कोई मुक्केबाज हार मान लेता था। प्राचीन रोम में भी बतौर खेल बॉक्सिंग काफी लोकप्रिय थी।
टोक्यो ओलिंपिक में पुरुष और महिला मिलाकर 13 कैटेगरी
रियो ओलिंपिक (2016) में बॉक्सिंग में 13 गोल्ड मेडल दांव पर थे। 10 पुरुष कैटेगरी में और 3 महिला कैटेगरी में। टोक्यो में भी 13 गोल्ड होंगे, लेकिन इस बार पुरुष कैटेगरी में 8 और महिला कैटेगरी में 5 गोल्ड मेडल दांव पर होंगे। महिला बॉक्सिंग की शुरुआत 2012 लंदन ओलिंपिक से हुई थी।
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज
पुरुष कैटेगरी
- अमित पंधाल 52 किलोग्राम
- मनीष कौशिक 63 किलोग्राम
- विकास कृष्णन 69 किलोग्राम
- आशीष कुमार 75 किलोग्राम
- सतीश कुमार 91+ किलोग्राम
महिला कैटेगरी
- एमसी मेरीकॉम 51 किलोग्राम
- सिमरनजीत कौर 60 किलोग्राम
- लवलीना बोरगोहेन 69 किलोग्राम
- पूजा रानी 75 किलोग्राम
14 बार भारतीय मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया, 2 बार मेडल जीत सके
भारतीय मुक्केबाजों ने अब तक 14 बार ओलिंपिक गेम्स में हिस्सा लिया है। पहली बार 1948 में भारत के 7 मुक्केबाज ओलिंपिक में शामिल हुए थे। 2012 में भारत से सबसे ज्यादा 8 मुक्केबाज ओलिंपिक में उतरे थे। इस बार यह रिकॉर्ड टूट जाएगा और टोक्यो में 9 भारतीय मुक्के का दम दिखाने उतरेंगे। भारत को अब तक सिर्फ दो ओलिंपिक 2008 (विजेंदर सिंह) और 2012 (एमसी मेरीकॉम) में बॉक्सिंग में मेडल मिले हैं।