अब फोटो से होगी बाघों की पहचान, रेडियो कालर की जरूरत नहीं

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पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने रेडियो कालर लगाकर बाघों की निगरानी बंद कर दी है। वहां के बाघ अब पार्क की सीमा से बाहर जाते हैं तो ट्रैप कैमरे से लिए फोटो से मिलान कर उनकी पहचान की जाएगी और जरूरी होने पर उन्हें उसके क्षेत्र में वापस लाने के प्रयास किए जाएंगे। ज्ञात हो कि पार्क में वर्ष 2009 में कान्हा एवं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाकर बाघों को बसाया गया था। तब से उनकी रेडियो कालर के माध्यम से 24 घंटे निगरानी की जा रही थी। पिछले साल तक 15 बाघों को रेडियो कालर लगा था।

मध्य प्रदेश सहित देशभर में बाघों की पहचान फोटो एवं पंजों के निशान का मिलान कर की जाती है, पर पन्न्ा टाइगर रिजर्व के बाघों की पहचान अब तक रेडियो कालर से की जा रही थी। दरअसल, वर्ष 2008 में पार्क बाघ विहीन हो गया था, तब कान्हा और बांधवगढ़ से बाघ लाकर बसाए गए थे। वे पार्क की सीमा से बाहर न जाएं और शिकार जैसी घटना न हो, इसलिए रेडियो कालर लगाए गए थे।

इस व्यवस्था को अब खत्म कर दिया गया है। वन अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश के दूसरे संरक्षित क्षेत्रों से लाकर बसाए गए बाघों ने इन 11 सालों में पन्ना पार्क को अपना स्थायी रहवास बना लिया है। वहीं 55 से ज्यादा बाघ यहीं पैदा हुए हैं। ऐसे में उनकी निगरानी की जरूरत नहीं है। यही व्यवस्था प्रदेश के दूसरे संरक्षित क्षेत्रों में भी लागू की जाएगी।

ऐसे होती है कालर से निगरानी

रेडियो कालर लगे बाघ या बाघिन के सौ मीटर के दायरे में एक वाहन चलाया जाता है, जिस पर एंटीना लगा होता है। इससे सिग्नल मिलते हैं। जब आधा घंटे तक बाघ का मूवमेंट नहीं होता है तो वनकर्मियों की टीम उसे देखने पहुंच जाती थी। यह व्यवस्था अब बंद कर दी गई है। हालांकि कालर नहीं हटाए गए हैं। पार्क के पूर्व संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति बताते हैं कि अब ऐसे कालर आ रहे हैं, जो खुद ही गिर जाते हैं। इसलिए उन्हें हटाने के लिए बाघ को बेहोश करने की जरूरत नहीं है। कालर में सवा से डेढ़ किलो वजन होता है।

नौरादेही में घूम रहे बाघ की पहचान नहीं

इसे लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि हाल ही में नौरादेही अभयारण्य क्षेत्र में देखा जा रहा बाघ कहां का है। करीब एक हफ्ते से बाघ यहां घूम रहा है। जानकार बताते हैं कि बाघ पन्न्ा टाइगर रिजर्व का है, पर अब तक उसकी पहचान नहीं की गई है।

इनका कहना है

हमने बाघों के कालर हटाए नहीं हैं, बस उनको फालो करना बंद कर दिया है। अभी कितने बाघों को कालर लगे हैं, हमें नहीं पता।

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