अमेरिकी वीजा मिलने के मामले में भारत US की नंबर-1 प्रायोरिटी है। अमेरिकी वीजा अधिकारियों के मुताबिक, कोविड के बाद देशभर में वीजा 36% जल्दी प्रोसेस हो रहा है। इसमें भारत उनकी पहली प्राथमिकता है। अगर कोई भारतीय अमेरिका के वीजा के लिए अपॉइंटमेंट लेने की कोशिश कर रहा है तो उसका वेट वाइम कम से कम रखने की कोशिश की जा रही है।
अमेरिकी वीजा सेवाओं के लिए असिस्टेंट सेक्रेटरी जूली स्टफ्ट ने कहा कि हमने महामारी से पहले की तुलना में भारतीयों के लिए 36% ज्यादा वीजा जारी किए हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इस साल से अमेरिका डोमेस्टिक वीजा का रिवैलिडेशन शुरू करने जा रहा है।
वीजा रेन्यू के लिए नहीं लौटना पड़ेगा अपने देश
दरअसल, 2004 तक H-1B वीजा को अमेरिका में ही रिन्यू किया जाता था, लेकिन 2004 के बाद से अमेरिका में काम करने वाले माइग्रेंट वर्कर्स को इसे रिन्यू कराने के लिए अपने देश लौटना पड़ रहा है। अब इस नए पायलट प्रोजेक्ट के तहत H-1B वीजा अमेरिका में ही रिन्यू किए जाएंगे। यानी किसी भी माइग्रेंट वर्कर को इसे रिन्यू करवाने के लिए अपने देश नहीं जाना पड़ेगा।
भारतीयों के लिए रिकॉर्ड वीजा प्रोसेस करेगा अमेरिका
इससे पहले अमेरिकी एम्बेसी ने इस साल भारतीयों के लिए रिकॉर्ड वीजा प्रोसेस करने की घोषणा की थी। दूतावास फर्स्ट-टाइम बी1 और बी2 टूरिस्ट और बिजनेस ट्रैवल वीजा में बैकलॉग को कम करना चाहता है। इसके तहत पूरे भारत में 2.5 लाख बी1/बी2 वीजा अपॉइंटमेंट बुक हुए हैं। साथ ही फर्स्ट-टाइम बी1/बी2 वीजा के इंटरव्यू के लिए दुनियाभर के दूतावासों और वॉशिंगटन डीसी से खासतौर पर अधिकारियों को बुलाया गया है।
H-1B और L-1B वीजा क्या होता है?
- H-1B वीजा आमतौर पर उन लोगों के लिए जारी किया जाता है,जो किसी खास पेशे (जैसे-IT प्रोफेशनल, आर्किट्रेक्टचर, हेल्थ प्रोफेशनल आदि) से जुड़े होते हैं। ऐसे प्रोफेशनल्स जिन्हें जॉब ऑफर होती है उन्हें ही ये वीजा मिल सकता है। यह पूरी तरह से एम्पलॉयर पर डिपेंड करता है। यानी अगर एम्पलॉयर नौकरी से निकाल दे और दूसरा एम्पलॉयर ऑफर न करे तो वीजा खत्म हो जाएगा।
- L-1A और L-1B वीजा टेम्परेरी इंट्राकंपनी ट्रांसफरीज के लिए उपलब्ध हैं जो मैनेजीरिअल पोजीशन पर काम करते हैं या स्पेशलाइज्ड नॉलेज रखते हैं। एल-1बी वीजा के तहत कंपनियों को एंप्लॉइज को कम से कम एक साल के लिए अमेरिका भेजने की अनुमति होती है। ये ऐसे लोगों को दिया जाता है जो वहां स्थायी तौर पर रहने नहीं जाते।