वॉशिंगटन: शीतयुद्ध खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका था। एक तरफ अमेरिका दहाड़ रहा था तो रूस उसे ललकार रहा था। दुनिया दो ध्रुवों में बंट चुकी थी। लेकिन इन सबके बीच एशिया में भी नई राजनीतिक बिसातें बिछ रही थी। भारत उस दौरान एक ऐसे रास्ते पर पहुंच चुका था, जहां से एक नये इतिहास को लिखा जा सकता था। साल 1988 में अरब सागर में भारत तेजी से अपने प्रभुत्व का विस्तार कर रहा था। ये कहानी उस घमंड को तोड़ने की है, जिसे कई साल बीतने के बाद भी आज तक ना तो आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया गया और ना ही दुनिया को उस घटना का कभी सच बताया गया। हम आपको उसी घटना की बेहद दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं जब भारतीय वायुसेना ने अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर USS Nimitz पर करीब करीब ‘हमला’ कर ही दिया था।
भारत के लिए काफी कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता रखने वाले नंबर 6 जगुआर स्क्वाड्रन, जिन्हें ‘शिप सिंकर्स’ कहा जाता है, वो भारतीय वायु सेना के एकमात्र समुद्री स्ट्राइक स्क्वाड्रन का गठन करते हैं। इस स्क्वाड्रन को खास तौर पर युद्धपोतों और एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। नंबर 6 स्क्वाड्रन ‘ड्रैगन्स’ को साल 1951 में फिर से गठन किया गया था, जब चार इंजन वाले बी-24 लिबरेटर्स को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। अमेरिकी मूल के इस भारी बमवर्षक ने स्क्वाड्रन को सौंपी गई भूमिका को पूरा किया।