असम शिक्षा बोर्ड ने 12वीं के सिलेबस से हटाए “नेहरू” पर आधारित चैप्टर, उठा विवाद

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नई दिल्लीः कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लंबे समय से स्कूलों को बंद रखा गया था. वहीं अब इस सत्र में छात्रों के सिलेबस के बोझ को कम करने के लिए असम उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद (AHSEC) ने पाठ्यक्रम में से कुछ सिलेबस को हटा दिया है. जिस पर असम में कांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू की नीतियों, अयोध्या विवाद और राज्य बोर्ड के कक्षा 12 वीं के पाठ्यक्रम से गुजरात दंगों पर अध्यायों को हटाने के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया है.

नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने AHSEC को छात्रों के सिलेबस में कुछ नीतियों से संबंधित और जवाहरलाल नेहरू के योगदान को बनाए रखने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया है. सैकिया ने कहा कि छात्रों के शैक्षणिक बोझ को कम करने के लिए किसी भी कदम का स्वागत किया गया जाएगा, लेकिन हटाए गए अध्यायों पर उन्हें आपत्ती है.

नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया का कहना है कि जवाहर लाल नेहरू की विदेश नीति और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा शुरू किए गए “गरीबी हटाओ” अभियान पर अध्यायों को हटाया जाना काफी गलत फैसला हो सकता है. सैकिया ने अपने पत्र में कहा “कोई भी निष्पक्ष व्यक्ति यह स्वीकार करेगा कि पंडित नेहरू ने वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के औद्योगिकीकरण पर जोर देकर आधुनिक भारत की नींव रखी थी. इसी तरह, पंडित नेहरू ने चीन के साथ पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और पड़ोसी देश ने हाल ही में कहा था कि वह अभी भी द्विपक्षीय समझौता चाहता है.”

पत्र में कहा गया है कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जैसे राजनीतिक विरोधियों ने भी सार्वजनिक रूप से पंडित नेहरू के राष्ट्र निर्माण और लोकतांत्रिक मूल्यों के पोषण में अद्वितीय योगदान को स्वीकार किया है. सैकिया ने कहा कि “पिछले कुछ वर्षों में जवाहरलाल नेहरू की छवि को धूमिल करने और राष्ट्र में उनके योगदान को नकारने के लिए कुछ लोगों के ओर से एक ठोस अभियान पर ध्यान दिया जा रहा है.”

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